आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता दर्द का रिश्ता अपनी आन नहीं खोता बस्ती के हस्सास दिलों को चुभता है सन्नाटा जब सारी रात नहीं होता मन-नगरी में धूम-धड़क्का रहता है मेरा मैं जब मेरे साथ नहीं होता बन जाते हैं लम्हे भी कितने संगीन वक़्त कभी जब अपना बोझ नहीं ढोता रिश्ते नाते… Continue reading आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता / हनीफ़ तरीन
आइए आसमाँ की ओर चलें / हनीफ़ तरीन
आइए आसमाँ की ओर चलें साथ ले कर ज़मीं का शोर चलें चाँद उल्फ़त का इस्तिआरा है जिस की जानिब सभी चकोर चलें यूँ दबे पाँव आई तेरी याद जैसे चुपके से शब में चोर चलें दिल की दुनिया अजीब दुनिया है अक़्ल के उस पे कुछ न ज़ोर चलें सब्ज़-रूत छाई यूँ उन आँखों… Continue reading आइए आसमाँ की ओर चलें / हनीफ़ तरीन
बना के तोड़ती है दाएरे चराग़ की लौ / हनीफ़ कैफ़ी
बना के तोड़ती है दाएरे चराग़ की लौ बहा के ले गई मुझ को कहाँ शुऊर की रौ बना चुका हूँ अधूरे मुजस्समे कितने कहाँ वो नक़्श जो तकमील-ए-फ़न का हो परतव वो मोड़ मेरे सफ़र का है नुक़्ता-ए-आग़ाज़ फ़रेब-ख़ुर्दा-ए-मंज़िल हुए जहाँ रह-रौ लरज़ते हैं मिरी महरूम-ए-ख़्वाब आँखों में बिखर चुके हैं जो ख़्वाब उन… Continue reading बना के तोड़ती है दाएरे चराग़ की लौ / हनीफ़ कैफ़ी
आरज़ूएँ कमाल-आमादा / हनीफ़ कैफ़ी
आरज़ूएँ कमाल-आमादा ज़िंदगानी ज़वाल-आमादा ज़िंदगी तिश्ना-ए-मजाल-ए-जवाब लम्हा लम्हा सवाल-आमादा ज़ख़्म खा कर बिफर रही है अना आजज़ी है जलाल-आमादा कैसे हमवार हो निबाह की राह दिल मुख़ालिफ़ ख़याल आमादा फिर कोई निश्तर-आज़मा हो जाए ज़ख़्म हैं इंदिमाल-आमादा हर क़दम फूँक फूँक कर रखिए रहगुज़र है जिदाल-आमादा हर नफ़स ज़र्फ़-आज़मा ‘कैफ़ी’ हर नज़र इश्तिआल-आमादा
ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए / हकीम ‘नासिर’
ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए इस मेरी तबाही में तिरा नाम न आए ये दर्द है हम-दम उसी ज़ालिम की निशानी दे मुझ को दवा ऐसी कि आराम न आए काँधे पे उठाए हैं सितम राह-ए-वफा के शिकवा मुझे तुम से है कि दो-गाम न आए लगता है कि फैलेगी शब-ए-ग़म… Continue reading ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए / हकीम ‘नासिर’
आँखों ने हाल कह दिया होंट न फिर हिला सके / हकीम ‘नासिर’
आँखों ने हाल कह दिया होंट न फिर हिला सके दिल में हज़ार ज़ख्म थे जो न उन्हें दिखा सके घर में जो इक चराग़ था तुम ने उसे बुझा दिया कोई कभी चराग़ हम घर में न फिर जला सके शिकवा नहीं है अर्ज़ है मुमकिन अगर हो आप से दीजे मुझ को ग़म… Continue reading आँखों ने हाल कह दिया होंट न फिर हिला सके / हकीम ‘नासिर’
मरता भला है ज़ब्त की ताक़त अगर न हो / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा
मरता भला है ज़ब्त की ताक़त अगर न हो कितना ही दर्द-ए-दिल हो मगर चश्म-ए-तर न हो वो सर ही क्या कि जिस में तुम्हारा न हो ख़याल वो दिल ही क्या जिस में तुम्हारा गुज़र न हो ऐसी तो बे-असर नहीं बेताबी-ए-फ़िराक़ नाले करूँ मैं और किसी को ख़बर न हो मिल जाओ तुम… Continue reading मरता भला है ज़ब्त की ताक़त अगर न हो / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा
गुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा
गुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक जिया बे-सोज़ में तो क्या जिया ख़ाक किसी के ख़ून-ए-नाहक़ की है सुर्ख़ी रंगेंगी दस्त-ए-क़ातिल को हिना ख़ाक निगह में शर्म के बदले है शोख़ी खुले फिर रात का क्या माजरा ख़ाक लबों तक आ नहीं सकता तो फिर मैं कहूँ क्या अपने दिल का मुद्दआ ख़ाक बुलंदी से है… Continue reading गुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा
दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा
दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी मौत आएगी तो ऐ हमदम शिफा हो जाएगी होगी जब नालों की अपने जेर गर्दू बाज-गश्त मेरे दर्द-ए-दिल की शोहरत जा-ब-जा हो जाएगी कू-ए-जानाँ में उसे है सज्दा-रिजी का जो शौक मेरी परेशानी रहीन-ए-नक्श-ए-पा हो जाएगी काकुल-ए-पेचाँ हटा कर रूख से आओ सामने पर्दा-दार-ए-हुस्न महफिल… Continue reading दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा
चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा
चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया दिल उस को दे दिया तो भला क्या बुरा क्या अब खोलिए किताब-ए-नसीहत को शैख़ फिर शब मय-कदे में आप ने जो कुछ किया किया वो ख़्वाब-ए-नाज़ में थे मिरा दीदा-ए-नियाज़ देखा किया और उन की बलाएँ लिया किया रोज़-ए-अज़ल से ता-ब-अबद अपनी जैब का था एक चाक… Continue reading चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा