मरता भला है ज़ब्त की ताक़त अगर न हो / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा

मरता भला है ज़ब्त की ताक़त अगर न हो कितना ही दर्द-ए-दिल हो मगर चश्म-ए-तर न हो वो सर ही क्या कि जिस में तुम्हारा न हो ख़याल वो दिल ही क्या जिस में तुम्हारा गुज़र न हो ऐसी तो बे-असर नहीं बेताबी-ए-फ़िराक़ नाले करूँ मैं और किसी को ख़बर न हो मिल जाओ तुम… Continue reading मरता भला है ज़ब्त की ताक़त अगर न हो / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा

गुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा

गुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक जिया बे-सोज़ में तो क्या जिया ख़ाक किसी के ख़ून-ए-नाहक़ की है सुर्ख़ी रंगेंगी दस्त-ए-क़ातिल को हिना ख़ाक निगह में शर्म के बदले है शोख़ी खुले फिर रात का क्या माजरा ख़ाक लबों तक आ नहीं सकता तो फिर मैं कहूँ क्या अपने दिल का मुद्दआ ख़ाक बुलंदी से है… Continue reading गुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा

दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा

दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी मौत आएगी तो ऐ हमदम शिफा हो जाएगी होगी जब नालों की अपने जेर गर्दू बाज-गश्त मेरे दर्द-ए-दिल की शोहरत जा-ब-जा हो जाएगी कू-ए-जानाँ में उसे है सज्दा-रिजी का जो शौक मेरी परेशानी रहीन-ए-नक्श-ए-पा हो जाएगी काकुल-ए-पेचाँ हटा कर रूख से आओ सामने पर्दा-दार-ए-हुस्न महफिल… Continue reading दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा

चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा

चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया दिल उस को दे दिया तो भला क्या बुरा क्या अब खोलिए किताब-ए-नसीहत को शैख़ फिर शब मय-कदे में आप ने जो कुछ किया किया वो ख़्वाब-ए-नाज़ में थे मिरा दीदा-ए-नियाज़ देखा किया और उन की बलाएँ लिया किया रोज़-ए-अज़ल से ता-ब-अबद अपनी जैब का था एक चाक… Continue reading चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया / हकीम अजमल ख़ाँ शैदा