इतने सारे तारे हैं और आकाश के रंग में घुली है एक तारे के टूट जाने की उदासी इतने सारे फूल हैं और पौधे की जड़ों में बसा है एक फूल के झड़ जाने का दर्द जिस तरह रंग और ख़ुशबू को जुदा करके हम फूल को नहीं कह सकते फूल मैं कैसे कह सकूंगा… Continue reading प्यार का शोक-गीत / एकांत श्रीवास्तव
Category: Ekant Shrivastava
बारहमासा / एकांत श्रीवास्तव
तुम हो कि चैत-बैशाख की धूल भरी याञा में मीठे जल की कोई नदी या जेठ की दोपहरी में नस-नस जुड़ाती आम्रवन की ठंडक तुम हो कि पत्तियों के कानों में आषाढ़ की पहली फुहार का संगीत या धरती की आत्मा में सावन-भादों का हरापन तुम हो कि कंवार का एक दिन कांस-फूल-सा उमगा है… Continue reading बारहमासा / एकांत श्रीवास्तव
बहनें-2 / एकांत श्रीवास्तव
बहनें घर-भर में सुगंध की तरह व्याप्त हैं एक दिन उड़ जाएंगी जाने किन पवन झकोरों के साथ रह जाएगा तेज़ धूप में भी हमारी कमीज़ों पर उनके हाथों कढ़े फूल का सबसे प्यारा रंग रह जाएंगी बर्तनों में उनकी गीली स्मृतियाँ और तह किए कपड़ों में उनके हाथों की तरतीब पहला कौर उठाते ही… Continue reading बहनें-2 / एकांत श्रीवास्तव
बहनें-1 / एकांत श्रीवास्तव
बहनें घुटनों पर सिर रखे बैठी हैं पोखर के जल में एक साँवली साँझ की तरह काँपती है घर की याद खूँटियों पर टंगी होंगी भाइयों की कमीज़ें आंगन में फूले होंगे गेंदे के फूल रसोई में खट रही होगी माँ सोचती हैं बहनें क्या वे होंगी उस घर की स्मृति में एक ओस भीगा… Continue reading बहनें-1 / एकांत श्रीवास्तव
माँ की आँखें / एकांत श्रीवास्तव
यहां सोयी हैं दो आंखें गहरी नींद में मैं अपने फूल-दिनों को यहां रखकर लौट जाऊंगा लेकिन लौट जाने के बाद भी हमें देखेंगी ये आंखें हम जहां भी तोड़ रहे होंगे अपने समय की सबसे सख्त चट्टान जब हम बेहद थके होंगे और अकेले ये आंखें हमें देंगी अपनी ममता की खुशबू ये आंखें… Continue reading माँ की आँखें / एकांत श्रीवास्तव
दवा वाले दिन / एकांत श्रीवास्तव
अब खाट से उठेंगे मां के दुःख और लम्बे-लम्बे डग भरकर कहीं गायब हो जायेंगे और जो बचेंगी छोटी-मोटी तकलीफें उन्हें बेडियों की तरह वह टांग देगी घर की खपरैल पर अब कुछ दिन सुनायी देगी उसकी असली हंसी कुछ रातें बिना करवटों के होंगी जिन्हें वह खांसकर नहीं बितायेगी और पसलियों का दर्द नहीं… Continue reading दवा वाले दिन / एकांत श्रीवास्तव
माँ का पत्र / एकांत श्रीवास्तव
गांव से आया है मां का पञ टेढ़े-मेढ़े अक्षर सीधे-सादे शब्द सब कुशल मंगल मेरी कुशलता की कामना पैसों की जरूरत नहीं अच्छे से रहने की हिदायतें और बाकी सब खैरियत मां ने बुलाया नहीं है गांव लेकिन मैं जानता हूं शब्द जो हैं अर्थ वह नहीं है झर रही होंगी नीम की पत्तियां और… Continue reading माँ का पत्र / एकांत श्रीवास्तव
माँ / एकांत श्रीवास्तव
एक : शताब्दियों से उसके हाथ में सुई और धागा है और हमारी फटी कमीज माँ फटी कमीज पर पैबन्द लगाती है और पैबन्द पर काढ़ती है भविष्य का फूल दो : वह रात भर कंदील की तरह जलती है इसके बाद भोर के तारे-सी झिलमिलाती है माँ एक नदी का नाम है जो जीवन… Continue reading माँ / एकांत श्रीवास्तव
चूड़ियाँ / एकांत श्रीवास्तव
चूडियॉं मॉं के हाथ की बजती हैं सुबह-शाम जब छिन चुका है पत्तियों से उनका संगीत जब सूख चुका है नदी का कण्ठ और भूल चुकी है वह बीते दिनों का जल-गीत जब बची नहीं बांसुरी की कोख में एक भी धुन जो उठे कल के सपनों में चूडियॉं मॉं के हाथ की बजती हैं… Continue reading चूड़ियाँ / एकांत श्रीवास्तव
पालना / एकांत श्रीवास्तव
जब भी गाती है मां हिलता है पालना पालने में सोया है नन्हां-सा फूल जिसकी पंखुडियों में बसी है मां के सबसे सुंदर दिनों की खुशबू पालने में सोया है नन्हां-सा सूरज जिसके आसमान में फैला है मॉं की आत्मा का अनन्त नीलापन कांटों और अंधेरे के विरूद्ध गाती है मां हिलता है पालना जब… Continue reading पालना / एकांत श्रीवास्तव