ग़म का इज़हार भी करने नहीं देती दुनिया / कँवल डबावी

ग़म का इज़हार भी करने नहीं देती दुनिया और मरता हूँ तो मरने नहीं देती दुनिया सब ही मय-ख़ाना-ए-हस्ती से पिया करत हैं मुझ को इक जाम भी भरने नहीं देती दुनिया आस्ताँ पर तेरे हम सर को झुका तो लेते हैं सर से ये बोझ उतरने नहीं देती दुनिया हम कभी दैर के तालिब… Continue reading ग़म का इज़हार भी करने नहीं देती दुनिया / कँवल डबावी

कुछ ना कहो / ओम निश्चल

कुछ ना कहो….. जैसे मैं बह रही हूँ भावों की नाव में वैसे तुम भी बहो….. कुछ ना कहो…………..कुछ ना कहो …..। थोड़ा चुप भी रहो जैसे चुप हैं हवाएँ जैसे गाती दिशाएँ जैसे बारिश की बून्दें सुनें आँख मूँदे जैसे बिखरा दे फिजां में कोई वैदिक ऋचाएँ यों ही बैठे रहो कल्‍पना के भुवन… Continue reading कुछ ना कहो / ओम निश्चल

ये सर्द मौसम ये शोख लम्‍हे / ओम निश्चल

ये सर्द मौसम, ये शोख लम्‍हे फ़िजा में आती हुई सरसता, खनक-भरी ये हँसी कि जैसे क्षितिज में चमके हों मेघ सहसा। हुलस के आते हवा के झोंके धुऍं के फाहे रुई के धोखे कहीं पे सूरज बिलम गया है कोई तो है, जो है राह रोके, किसी के चेहरे का ये भरम है हो… Continue reading ये सर्द मौसम ये शोख लम्‍हे / ओम निश्चल

दीवाली पर पिया / ओम निश्चल

दीवाली पर पिया, चौमुख दरवाज़े पर बालूँगी मैं दिया । ओ पिया । उभरेंगे आँखों में सपनों के इंद्रधनुष, होठों पर सोनजुही सुबह मुस्कराएगी, माथे पर खिंच जाएँगी भोली सलवटें अगवारे पिछवारे फ़सल महमहाएगी हेर-हेर फूलों की पाँखुरी जुटाऊँगी, आँगन-चौबारे छितराऊँगी मैं पिया । ओ पिया । माखन मिसरी बातें शोख मावसी रातें, अल्हड़ सौगंधों… Continue reading दीवाली पर पिया / ओम निश्चल

मेरी पगडंडी मत भूलना / ओम निश्चल

बँगले में रहना जी मोटर में घूमना मेरी पगडंडी मत भूलना । भूल गयी होंगी वे नेह छोह की बातें पाती लिख लिख प्रियवर भेज रही सौगातें हँसी-खुशी रहना जी फूलों-सा झूमना पर मेरी याद नहीं भूलना । मेरी पगडंडी मत भूलना ।। माना, मैं भोली हूँ अपढ़ हूँ, गँवारन हूँ पर दिल की सच्ची… Continue reading मेरी पगडंडी मत भूलना / ओम निश्चल

कह दो तो! / ओम निश्चल

जूड़े मे फूल टाँक दूँ ओ प्रिया कह दो तो हरसिंगार का दूध नहाई जैसी रात हुई साँवरी, रह-रह के भिगो रही पुरवाई बावरी, भीग गया है तन-मन पाँवों में है रुनझुन अंग-अंग में उभार दूँ ओ प्रिया, कह दो तो छंद प्यार का खुली हुई साँकल है खुली हुई खिडकियाँ शोख हवाएँ देतीं मंद-मंद… Continue reading कह दो तो! / ओम निश्चल

मेघदूत-सा मन / ओम निश्चल

साँस तुम्हारी योजनगंधा, मेघदूत-सा मन मेरा है । दूध धुले हैं पाँव तुम्हारे अंग-अंग दिखती उबटन है मेरी जन्मकुंडली जिसमें लिखी हुई हर पल भटकन है कैसे चलूँ तुम्हारे द्वारे तुम रतनारी,हम कजरारे, कमलनाल-सी देह तुम्हारी देवदारु-सा तन मेरा है । साँझ तुम्हें प्यारी लगती है प्रात सुहाना फूलों वाला मुझे डँसा करता है हर… Continue reading मेघदूत-सा मन / ओम निश्चल

मौसम ठहर जाए / ओम निश्चल

मेघ का, मल्हार का मौसम ठहर जाए, कुछ करो- यह प्यार का मौसम ठहर जाए । जल रहा मन आज सुधियों के अंगारों में, दर्द कुछ हल्का हुआ है इन फुहारों में, रुप का, अभिसार का मौसम ठहर जाए । कुछ करो- यह प्यार का मौसम ठहर जाए । बादलों की गंध में खोया हुआ… Continue reading मौसम ठहर जाए / ओम निश्चल

फिर घटाएं जामुनी छाने लगी हैं / ओम निश्चल

उठ गए डेरे यहॉं से धूप के डोलियॉं बरसात की आने लगी हैं। चल पड़ी हैं फिर हवाएँ कमल-वन से, घिर गए हैं मेघ नभ पर मनचले, शरबती मौसम नशीला हो रहा तप्त तावे-से तपिश के दिन ढले सुरमई आँचल गगन ने ढँक लिए फिर घटाएँ जामुनी छाने लगी हैं। आह, क्या कादम्बिेनी है, और… Continue reading फिर घटाएं जामुनी छाने लगी हैं / ओम निश्चल

गीतों के गॉंव / ओम निश्चल

फूलों के गाँव फसलों के गाँव आओ चलें गीतों के गाँव। महके कोई रह रह के फूल रेशम हुई राहों की धूल बहती हुई अल्हड़ नदी ढहते हुए यादों के कूल चंदा के गाँव सूरज के गाँव आओ चलें तारों के गाँव। पीपल के पात महुए के पात आँचल भरे हर पल सौगात सावन झरे… Continue reading गीतों के गॉंव / ओम निश्चल