Ekant Shrivastava Archive
दुनिया की सबसे पहली स्त्री के स्तनों से बहकर जो अमर हो गया वही रंग है यह यों यह आपको काँस और दूधमोंगरों के फूलों में भी मिल जाएगा जब स्त्रियों के पास बचता नहीं कोई दूसरा रंग वे इसी …
इस रंग के बारे में कोई भी कथन इस वक़्त कितना दुस्साहसिक काम है जब जी रहे हैं इस रंग को गेंदे के इतने और इतने सारे फूल जब हँस रहे हों पृथ्वी पर अजस्र फूल सरसों और सूरजमुखी के …
शताब्दियों से यह हमारे आसमान का रंग है और हमारी नदियों का मन थरथराता है इसी रंग में इसी रंग में डूबे हैं अलसी के सहस्ञों फूल यह रंग है उस स्याही का जो फैली है बच्चों की उंगलियों और …
यह दाड़िम के फूल का रंग है दाड़िम के फल-सा पककर फूट रहा है जिसका मन यह उस स्त्री के प्रसन्न मन का रंग है यह रंग पान से रचे दोस्त के होंठों की मुस्कुराहट का है यह रंग है …
जो भूखा होगा प्यार कैसे करेगा श्रीमान्? पार्क की हरियाली खत्म कैसे करेगी जीवन का सूखा? जब मैं झुकता हूं प्रेमिका के चेहरे पर चुम्बन नहीं, नौकरी मांगते हैं उसके होंठ प्रेम-पार्क की बेगन बेलिया रोजगार की समस्या में क्या …
पिछली रात टूटे हुए स्वप्न के आघात से आरम्भ होते हैं खाली दिन कैलेण्डर में कोई नाम नहीं होता खाली दिनों का न सोम न मंगल कोई तारीख नहीं होती खाली दिनों की न दस न सञह बिना अंगूठे वाली …
यह एक पीठ है काली चट्टान की तरह चौड़ी और मजबूत इस पर दागी गयीं अनगिनत सलाखें इस पर बरसाये गये हजार-हजार कोड़े इस पर ढोया गया इतिहास का सबसे ज्यादा बोझ यह एक झुकी हुई डाल है पेड़ की …
बोले हम पहली बार अपने दुःखों को जुबान देते हुए जैसे जन्म के तत्काल बाद बोलता है बच्चा पत्थर हिल उठे कि बोले हम सदियों के गूंगे लोग पहली बार हमने जाना बोलना हमें लगा हम अभी-अभी पैदा हुए हैं.
एक नुचा हुआ फूल है यह शहर जिसे रौंद गये हैं आततायी एक तड़का हुआ आईना जिसमें कोई चेहरा साफ-साफ दिखायी नहीं देता यह शहर लाखों-लाख कंठों में एक रूकी हुई रूलाई है एक सूखा हुआ आंसू एक उड़ा हुआ …
धूप में नहाया एक नीला आकाश तुमने मुझे भेजा अब इन झिलमिलाते तारों का क्या करूँ मैं जो तैरने लगे हैं चुपके से मेरे अंधेरों में क्या करूँ इन परिन्दों का तुम्हारे अन्तर्देशीय से निकलकर जो उड़ने लगे हैं मेरे …