मोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में / अख़्तर अंसारी

मोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में रहा करती है शादाबी ख़ज़ाँ के भी महीनों में ज़िया-ए-महर आँखों में है तौबा मह-जबीनों में के फ़ितरत ने भरा है हुस्न ख़ुद अपना हसीनों में हवा-ए-तुंद है गर्दाब है पुर-शोर धारा है लिए जाते हैं ज़ौक-ए-आफ़ियत सी शय सफीनों में मैं हँसता हूँ मगर ऐ दोस्त अक्सर… Continue reading मोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में / अख़्तर अंसारी

मोहब्बत है अज़ीयत है हुजूम-ए-यास-ओ-हसरत है / अख़्तर अंसारी

मोहब्बत है अज़ीयत है हुजूम-ए-यास-ओ-हसरत है जवानी और इतनी दुख भरी कैसी क़यामत है वो माज़ी जो है इक मजमुआ अश्कों और आहों का न जाने मुझ को इस माज़ी से क्यूँ इतनी मोहब्बत है लब-ए-दरिया मुझे लहरों से यूँही चहल करने दो के अब दिल को इसी इक शुग़्ल-ए-बे-मानी में राहत है तेरा अफ़साना… Continue reading मोहब्बत है अज़ीयत है हुजूम-ए-यास-ओ-हसरत है / अख़्तर अंसारी

मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है / अख़्तर अंसारी

मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है गुफ़्तुगू से जुनूँ टपकता है मस्त हूँ मैं मेरी नज़र से भी बाद-ए-लाला-गूँ टपकता है हाँ कब ख़्वाब-ए-इश्क़ देखा था अब तक आँखों से ख़ूँ टपकता है आह ‘अख़्तर’ मेरी हँसी से भी मेरा हाल-ए-ज़ुबूँ टपकता है

मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है / अख़्तर अंसारी

मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है बयाँ तो हो नहीं सकती जो अपनी हालत है मेरे सफ़ीने को धारे पे डाल दे कोई मैं डूब जाऊँ के तैर जाऊँ मेरी क़िस्मत है रगों में दौड़ती हैं बिजलियाँ लहू के एवज़ शबाब कहते हैं जिस चीज़ को क़यामत है लताफ़तें सिमट… Continue reading मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है / अख़्तर अंसारी

क्या ख़बर थी इक बला-ए-ना-गहानी आएगी / अख़्तर अंसारी

क्या ख़बर थी इक बला-ए-ना-गहानी आएगी ना-मुरादी की निशानी ये जवानी आएगी. सब कहेंगे कौन करता है हमारे राज़ फ़ाश जब मेरे लब पर मोहब्बत की कहानी आएगी. ना-मुरादी से कहो मुँह फेर ले अपना ज़रा मेरी दुनिया में उरूस-ए-कामरानी आएगी. जब ख़िज़ाँ की नज़्र हो जाएगी दुनिया से शबाब याद ‘अख़्तर’ ये सितम-आरा जवानी… Continue reading क्या ख़बर थी इक बला-ए-ना-गहानी आएगी / अख़्तर अंसारी

ख़्वाहिश-ए-ऐश नहीं दर्द-ए-निहानी की क़सम / अख़्तर अंसारी

ख़्वाहिश-ए-ऐश नहीं दर्द-ए-निहानी की क़सम बुल-हवस खाया करें इशरत-ए-फ़ानी की क़सम इक ग़म-अंगेज़ हक़ीक़त है हमारी हस्ती क़िस्सा-ख़्वाँ तेरी ग़म-अंगेज़ कहानी की क़सम दिल की गहराइयों में आग दबी रखता हूँ चश्म-ए-गिर्यां से बरसते हुए पानी की क़सम जब से आई है ख़ुदा रक्खे जवानी ‘अख़्तर’ हम हर इक बात पर खाते हैं जावानी की… Continue reading ख़्वाहिश-ए-ऐश नहीं दर्द-ए-निहानी की क़सम / अख़्तर अंसारी

हयात इंसाँ की सर ता पा ज़बाँ मालूम होती है / अख़्तर अंसारी

हयात इंसाँ की सर ता पा ज़बाँ मालूम होती है ये दुनिया इंक़िलाब-ए-आसमाँ मालूम होती है मुकद्दर है ख़िज़ाँ के ख़ून से ऐश-ए-बहार-ए-गुल ख़िज़ाँ की रुत बहार-ए-बे-ख़िज़ाँ मालूम होती है मुझे ना-कामी-ए-पैहम से मायूसी नहीं होती अभी उम्मीद मेरी नौ-जवाँ मालूम होती है कोई जब नाला करता है कलेजा थाम लेता हूँ फ़ुग़ान-ए-ग़ैर भी अपनी… Continue reading हयात इंसाँ की सर ता पा ज़बाँ मालूम होती है / अख़्तर अंसारी

हर वक़्त नौहा-ख़्वाँ सी रहती हैं मेरी आँखें / अख़्तर अंसारी

हर वक़्त नौहा-ख़्वाँ सी रहती हैं मेरी आँखें इक दुख भरी कहानी कहती हैं मेरी आँखें जज़्बात-ए-दिल की शिद्दत सहती हैं मेरी आँखें गुल-रंग और शफ़क़-गूँ रहती हैं मेरी आँखें ऐश ओ तरब के जलसे दर्द अलम के मंज़र क्या कुछ न हम ने देखा कहती हैं मेरी आँखें जब से दिल ओ जिगर की… Continue reading हर वक़्त नौहा-ख़्वाँ सी रहती हैं मेरी आँखें / अख़्तर अंसारी

ग़म-ज़दा हैं मुबतला-ए-दर्द हैं ना-शाद हैं / अख़्तर अंसारी

ग़म-ज़दा हैं मुबतला-ए-दर्द हैं ना-शाद हैं हम किसी अफ़साना-ए-ग़म-नाक के अफ़राद हैं गर्दिश-ए-अफ़लाक के हाथों बहुत बर्बाद हैं हम लब-ए-अय्याम पर इक दुख भारी फ़रियाद हैं हाफ़िज़े पर इशरतों के नक़्श बाक़ी हैं अभी तू ने जो सदमे सही ऐ दिल तुझे भी याद हैं रात भर कहते हैं तारे दिल से रूदाद-ए-शबाब इन को… Continue reading ग़म-ज़दा हैं मुबतला-ए-दर्द हैं ना-शाद हैं / अख़्तर अंसारी

ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं / अख़्तर अंसारी

ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं दिल-ए-सितम-ज़दा है राज़-दाँ हूँ मैं ज़्यादा इस से कोई आज तक बता न सका के एक नुक़्ता-ए-ना-क़ाबिल-ए-बयाँ हूँ मैं नज़र के सामने कौंदी थी एक बिजली सी मुझे बताओ ख़ुदारा के अब कहाँ हूँ मैं ख़िज़ाँ ने लूट लिया गुलशन-ए-शबाब मगर किसी बहार के अरमान में जवाँ हूँ मैं… Continue reading ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं / अख़्तर अंसारी