मैं तो तेरे भजन भरोसे अबिनासी / मीराबाई

मैं तो तेरे भजन भरोसे अबिनासी॥ मैतो०॥ध्रु०॥ तीरथ बरतते कछु नहीं कीनो। बन फिरे हैं उदासी॥ मैंतो० तेरे॥१॥ जंतर मंतर कछु नहीं जानूं। बेद पठो नहीं कासी॥ मैतो० तेरे॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। भई चरणकी दासी॥ मैतो० तेरे॥३॥

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मोरी आंगनमों मुरली बजावेरे / मीराबाई

मोरी आंगनमों मुरली बजावेरे। खिलावना देवूंगी॥ध्रु०॥ नाच नाच मोरे मन मोहन। मधुर गीत सुनावुंगी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हरिके चरन बल जाऊंगी॥३॥

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बागनमों नंदलाल चलोरी / मीराबाई

बागनमों नंदलाल चलोरी॥ अहालिरी॥ध्रु॥ चंपा चमेली दवना मरवा। झूक आई टमडाल॥च०॥१॥ बागमों जाये दरसन पाये। बिच ठाडे मदन गोपाल॥च०॥२॥ मीराके प्रभू गिरिधर नागर। वांके नयन विसाल॥च०॥३॥

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लाज रखो तुम मेरी प्रभूजी / मीराबाई

लाज रखो तुम मेरी प्रभूजी। लाज रखो तुम मेरी॥ध्रु०॥ जब बैरीने कबरी पकरी। तबही मान मरोरी॥ प्रभुजी०॥१॥ मैं गरीब तुम करुनासागर। दुष्ट करत बलजोरी॥ प्रभुजी०॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुम पिता मैं छोरी॥ प्रभुजी०॥३॥

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बन्सी तूं कवन गुमान भरी / मीराबाई

बन्सी तूं कवन गुमान भरी॥ध्रु०॥ आपने तनपर छेदपरंये बालाते बिछरी॥१॥ जात पात हूं तोरी मय जानूं तूं बनकी लकरी॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर राधासे झगरी बन्सी॥३॥

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चरन रज महिमा मैं जानी / मीराबाई

चरन रज महिमा मैं जानी। याहि चरनसे गंगा प्रगटी। भगिरथ कुल तारी॥ चरण०॥१॥ याहि चरनसे बिप्र सुदामा। हरि कंचन धाम दिन्ही॥ च०॥२॥ याहि चरनसे अहिल्या उधारी। गौतम घरकी पट्टरानी॥ च०॥३॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलसे लटपटानी॥ चरण०॥४॥

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पिहुकी बोलिन बोल पपैय्या / मीराबाई

पिहुकी बोलिन बोल पपैय्या॥ध्रु०॥ तै खोलना मेरा जी डरत है। तनमन डावा डोल॥ पपैय्या०॥१॥ तोरे बिना मोकूं पीर आवत है। जावरा करुंगी मैं मोल॥ पपैय्या०॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। कामनी करत कीलोल॥ पपैय्या०॥३॥

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हरि तुम कायकू प्रीत लगाई / मीराबाई

हरि तुम कायकू प्रीत लगाई॥ध्रु०॥ प्रीत लगाई पर दुःख दीनो। कैशी लाज न आई॥ ह०॥१॥ गोकुल छांड मथुराकु जावूं। वामें कौन बढाई॥ ह०॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुमकूं नंद दुवाई॥ हरि०॥३॥

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दीजो हो चुररिया हमारी / मीराबाई

दीजो हो चुररिया हमारी। किसनजी मैं कन्या कुंवारी॥ध्रु०॥ गौलन सब मिल पानिया भरन जाती। वहंको करत बलजोरी॥१॥ परनारीका पल्लव पकडे। क्या करे मनवा बिचारी॥२॥ ब्रिंद्रावनके कुंजबनमों। मारे रंगकी पिचकारी॥३॥ जाके कहती यशवदा मैया। होगी फजीती तुम्हारी॥४॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। भक्तनके है लहरी॥५॥

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मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा / मीराबाई

मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा। मेरे चित्त नंद लालछे॥ध्रु०॥१॥ ब्रिंदाजी बनके कुंजगलिनमों। मैं जप धर तुलसी मालछे॥२॥ मोर मुकुट पीतांबर शोभे। गला मोतनके माल छे॥३॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुट गई जंजाल छे॥४॥

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