दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी ओ जी अन्तरजामी ओ राम खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी आप बिन मोहे कल ना पडत है जी ओजी तडपत हूं दिन रैन रैन में नीर ढले है जी गुण तो प्रभुजी मों में एक नहीं छै जी ओ जी अवगुण भरे हैं अनेक अवगुण म्हारां माफ करीज्यो जी भगत… Continue reading दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी / मीराबाई
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जागो बंसी वारे जागो मोरे ललन / मीराबाई
जागो बंसी वारे जागो मोरे ललन। रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे। गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे। उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढ़े द्वारे । ग्वाल बाल सब करत कोलाहल जय जय सबद उचारे । मीरा के प्रभु गिरधर नागर शरण आया कूं तारे ॥
अब तो मेरा राम / मीराबाई
अब तो मेरा राम नाम दूसरा न कोई॥ माता छोडी पिता छोडे छोडे सगा भाई। साधु संग बैठ बैठ लोक लाज खोई॥ सतं देख दौड आई, जगत देख रोई। प्रेम आंसु डार डार, अमर बेल बोई॥ मारग में तारग मिले, संत राम दोई। संत सदा शीश राखूं, राम हृदय होई॥ अंत में से तंत काढयो,… Continue reading अब तो मेरा राम / मीराबाई
झूठी जगमग जोति / मीराबाई
आवो सहेल्या रली करां हे, पर घर गावण निवारि। झूठा माणिक मोतिया री, झूठी जगमग जोति। झूठा सब आभूषण री, सांचि पियाजी री पोति। झूठा पाट पटंबरारे, झूठा दिखणी चीर। सांची पियाजी री गूदडी, जामे निरमल रहे सरीर। छप्प भोग बुहाई दे है, इन भोगिन में दाग। लूण अलूणो ही भलो है, अपणो पियाजी को… Continue reading झूठी जगमग जोति / मीराबाई
अच्छे मीठे फल चाख चाख / मीराबाई
अच्छे मीठे फल चाख चाख, बेर लाई भीलणी। ऎसी कहा अचारवती, रूप नहीं एक रती। नीचे कुल ओछी जात, अति ही कुचीलणी। जूठे फल लीन्हे राम, प्रेम की प्रतीत त्राण। उँच नीच जाने नहीं, रस की रसीलणी। ऎसी कहा वेद पढी, छिन में विमाण चढी। हरि जू सू बाँध्यो हेत, बैकुण्ठ में झूलणी। दास मीरा… Continue reading अच्छे मीठे फल चाख चाख / मीराबाई
भजु मन चरन कँवल अविनासी / मीराबाई
भजु मन चरन कँवल अविनासी। जेताइ दीसे धरण-गगन-बिच, तेताई सब उठि जासी। कहा भयो तीरथ व्रत कीन्हे, कहा लिये करवत कासी। इस देही का गरब न करना, माटी मैं मिल जासी। यो संसार चहर की बाजी, साँझ पडयाँ उठ जासी। कहा भयो है भगवा पहरयाँ, घर तज भए सन्यासी। जोगी होय जुगति नहिं जाणी, उलटि… Continue reading भजु मन चरन कँवल अविनासी / मीराबाई
तोती मैना राधे कृष्ण बोल / मीराबाई
तोती मैना राधे कृष्ण बोल। तोती मैना राधे कृष्ण बोल॥ध्रु०॥ येकही तोती धुंडत आई। लकट किया अनी मोल॥तोती मै०॥१॥ दाना खावे तोती पानी पीवे। पिंजरमें करत कल्लोळ॥ तो०॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। हरिके चरण चित डोल॥ तो०॥३॥
कुबजानें जादु डारा / मीराबाई
कुबजानें जादु डारा। मोहे लीयो शाम हमारारे॥ कुबजा०॥ध्रु०॥ दिन नहीं चैन रैन नहीं निद्रा। तलपतरे जीव हमरारे॥ कुब०॥१॥ निरमल नीर जमुनाजीको छांड्यो। जाय पिवे जल खारारे॥ कु०॥२॥ इत गोकुल उत मथुरा नगरी। छोड्यायो पिहु प्यारा॥ कु०॥३॥ मोर मुगुट पितांबर शोभे। जीवन प्रान हमारा॥ कु०॥४॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। बिरह समुदर सारा॥ कुबजानें जादू डारारे कुब०॥५॥
जमुनाजीको तीर दधी बेचन जावूं / मीराबाई
जमुनाजीको तीर दधी बेचन जावूं॥ध्रु०॥ येक तो घागर सिरपर भारी दुजा सागर दूर॥१॥ कैसी दधी बेचन जावूं एक तो कन्हैया हटेला दुजा मखान चोर॥ कैसा०॥२॥ येक तो ननंद हटेली दुजा ससरा नादान॥३॥ है मीरा दरसनकुं प्यासी। दरसन दिजोरे महाराज॥४॥
काना चालो मारा घेर कामछे / मीराबाई
काना चालो मारा घेर कामछे। सुंदर तारूं नामछे॥ध्रु०॥ मारा आंगनमों तुलसीनु झाड छे। राधा गौळण मारूं नामछे॥१॥ आगला मंदिरमा ससरा सुवेलाछे। पाछला मंदिर सामसुमछे॥२॥ मोर मुगुट पितांबर सोभे। गला मोतनकी मालछे॥३॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरन कमल चित जायछे॥४॥