मोरी आंगनमों मुरली बजावेरे। खिलावना देवूंगी॥ध्रु०॥
नाच नाच मोरे मन मोहन। मधुर गीत सुनावुंगी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हरिके चरन बल जाऊंगी॥३॥
मोरी आंगनमों मुरली बजावेरे। खिलावना देवूंगी॥ध्रु०॥
नाच नाच मोरे मन मोहन। मधुर गीत सुनावुंगी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हरिके चरन बल जाऊंगी॥३॥