मैं तो तेरे भजन भरोसे अबिनासी॥ मैतो०॥ध्रु०॥
तीरथ बरतते कछु नहीं कीनो। बन फिरे हैं उदासी॥ मैंतो० तेरे॥१॥
जंतर मंतर कछु नहीं जानूं। बेद पठो नहीं कासी॥ मैतो० तेरे॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। भई चरणकी दासी॥ मैतो० तेरे॥३॥
मैं तो तेरे भजन भरोसे अबिनासी॥ मैतो०॥ध्रु०॥
तीरथ बरतते कछु नहीं कीनो। बन फिरे हैं उदासी॥ मैंतो० तेरे॥१॥
जंतर मंतर कछु नहीं जानूं। बेद पठो नहीं कासी॥ मैतो० तेरे॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। भई चरणकी दासी॥ मैतो० तेरे॥३॥