मेरी माँ अब मिट्टी के ढेर के नीचे सोती है उसके जुमले, उसकी बातों, जब वह ज़िंदा थी, कितना बरहम (ग़ुस्सा) करती थी मेरी रोशन तबई (उदारता), उसकी जहालत हम दोनों के बीच एक दीवार थी जैसे ‘रात को ख़ुशबू का झोंका आए, जि़क्र न करना पीरों की सवारी जाती है’ ‘दिन में बगूलों की… Continue reading तहलील / अख़्तर-उल-ईमान
Category: Hindi-Urdu Poets
मैं पयम्बर नहीं / अख़्तर-उल-ईमान
मैं पयंबर नहीं देवता भी नहीं दूसरों के लिए जान देते हैं वो सूली पाते हैं वो नामुरादी की राहों से जाते हैं वो मैं तो परवर्दा हूँ ऐसी तहज़ीब का जिसमें कहते हैं कुछ और करते हैं कुछ शर-पसंदों की आमाजगह अम्न की क़ुमरियाँ जिसमें करतब दिखाने में मसरूफ़ हैं मैं रबड़ का बना… Continue reading मैं पयम्बर नहीं / अख़्तर-उल-ईमान
काले-सफ़ेद परोंवाला परिंदा और मेरी एक शाम / अख़्तर-उल-ईमान
बर्तन,सिक्के,मुहरें, बेनाम ख़ुदाओं के बुत टूटे-फूटे मिट्टी के ढेर में पोशीदा चक्की-चूल्हे कुंद औज़ार, ज़मीनें जिनसे खोदी जाती होंगी कुछ हथियार जिन्हे इस्तेमाल किया करते होंगे मोहलिक हैवानों पर क्या बस इतना ही विरसा है मेरा ? इंसान जब यहाँ से आगे बढ़ता है, क्या मर जाता है ?
ज़हर-ए-ग़म कर चुका था मेरा काम
न होगा यक बयाबाँ माँदगी से ज़ौक़ कम मेरा हुबाब-ए-मौज-ए-रफ़्तार है, नक़्श-ए-क़दम मेरा मुहब्बत थी चमन से, लेकिन अब ये बेदिमाग़ी है के मौज-ए-बू-ए-गुल से नाक में आता है दम मेरा
हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे
हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”परिचित”]नुमायाँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] मुझसे मेरी रफ़्तार से भागे है बयाबाँ मुझसे [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”खेल-शीर्षक की शिक्षा”]दर्से-उन्वाने-तमाशा[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”उपेक्षित”]बा-तग़ाफ़ुल[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”हर्षित”]ख़ुशतर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] है[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”बिखरी पलकों को सी देने वाला धागा मुझसे”]निगहे- रिश्ता-ए-शीराज़ा-ए-मिज़गाँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”हृदय की तपिश के डर से”]वहशते-आतिशे-दिल[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] से [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”अकेलेपन की रात”]शबे-तन्हाई[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] में [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”धुएँ की तरह”]सूरते-दूद[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] रहा साया [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”बचता”]गुरेज़ाँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] मुझसे… Continue reading हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे
ख़ुश हो ऐ बख़्त दक है आज तेरे सर सेहरा
ख़ुश हो ऐ [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”बख़्त नाम का राजकुमार”]बख़्त[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] कि है आज तेरे सर सेहरा बाँध शहज़ादा जवाँ बख़्त के सर पर सेहरा क्या ही इस चाँद-से मुखड़े पे भला लगता है है तेरे हुस्ने-दिल [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”आलौकिक सौंदर्य”]अफ़रोज़[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] का[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”अलंकरण”]ज़ेवर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] सेहरा सर पे चढ़ना तुझे फबता है पर ऐ[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”टोपी का किनारा”]तर्फ़े-कुलाह[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] मुझको डर है कि… Continue reading ख़ुश हो ऐ बख़्त दक है आज तेरे सर सेहरा
कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं
कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं इक तीर मेरे सीने में मारा के हाये हाये वो सब्ज़ा ज़ार हाये मुतर्रा के है ग़ज़ब वो नाज़नीं बुतान-ए-ख़ुदआरा के हाये हाये सब्रआज़्मा वो उन की निगाहें के हफ़ नज़र ताक़तरूबा वो उन का इशारा के हाये हाये वो मेवा हाये ताज़ा-ए-शीरीं के वाह वाह वो बादा… Continue reading कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं
ये न थी हमारी क़िस्मत
ये न थी हमारी क़िस्मत के[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”प्रिय से मिलन”]विसाले यार[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] होता अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता
ये तेरा घर ये मेरा घर
ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर तो पहले आके माँग ले, मेरी नज़र तेरी नज़र ये घर बहुत हसीन है न बादलों की छाँव में, न चाँदनी के गाँव में न फूल जैसे रास्ते, बने हैं इसके वास्ते मगर ये घर अजीब है, ज़मीन के क़रीब है ये ईँट पत्थरों… Continue reading ये तेरा घर ये मेरा घर
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी प्यार की राह के हमसफ़र किस तरह बन गये अजनबी ये बता दे मुझे ज़िन्दगी फूल क्यूँ सारे मुरझा गये किस लिये बुझ गई चाँदनी ये बता दे मुझे ज़िन्दगी कल जो बाहों में थी और निगाहों में थी अब वो गर्मी कहाँ खो गई न वो अंदाज़ है न… Continue reading ये बता दे मुझे ज़िन्दगी