मैं देशद्रोही नहीं हूँ मैं मानता हूँ मैं स्वतन्त्र भारत की देह पर फोड़ा हूँ, लेकिन मैं अजेय नही हूँ । बस, अपने भीतर दर्द रखता हूँ, इसीलिए अछूत हूँ, दोषी हूँ । मैं अक्षम नहीं हूँ, भूखा हूँ । भले ही आपने मुझ पर- ‘गरीबी की रेखा’ पटक कर, छुपाने का असफल प्रयास किया… Continue reading मैं देशद्रोही नहीं हूं / ओम पुरोहित ‘कागद’
बख़्श दी हाल-ए-ज़ुबूँ ने जल्वा-सामानी मुझे / एहसान दानिश
बख़्श दी हाल-ए-ज़ुबूँ ने जल्वा-सामानी मुझे काश मिल जाए ज़माने की परेशानी मुझे ऐ निगाह-ए-दोस्त ऐ सरमाया-दार-ए-बे-ख़ुदी होश आता है तो होती है परेशानी मुझे खुल चुका हाँ खुल चुका दिल पर तिरा रंगीं फ़रेब दे न धोका ऐ तिलिस्म-ए-हस्ती-ए-फ़ानी मुझे फिर न साबित हो कहीं नंग-ए-बयाबाँ जिस्म-ए-राज़ सोच कर करना जुनूँ माइल ये उर्यानी… Continue reading बख़्श दी हाल-ए-ज़ुबूँ ने जल्वा-सामानी मुझे / एहसान दानिश
आज भड़की रग-ए-वहशत तिरे दीवानों की / एहसान दानिश
आज भड़की रग-ए-वहशत तिरे दीवानों की क़िस्मतें जागने वाली हैं बयाबानों की फिर घटाओं में है नक़्क़ारा-ए-वहशत की सदा टोलियाँ बंध के चलीं दश्त को दीवानों की आज क्या सूझ रही है तिरे दीवानों को धज्जियाँ ढूँढते फिरते हैं गरेबानों की रूह-ए-मजनूँ अभी बेताब है सहराओं में ख़ाक बे-वजह नहीं उड़ती बयाबानों की उस ने… Continue reading आज भड़की रग-ए-वहशत तिरे दीवानों की / एहसान दानिश
ये दुनिया है यहां असली कहानी पुश्त पर रखना / एहतेशाम-उल-हक़ सिद्दीक़ी
ये दुनिया है यहां असली कहानी पुश्त पर रखना लबों पर प्यास रखना और पानी पुश्त पर रखना तमन्नाओं के अंधे शहर में जब माँगने निकलो तो चादर सब्र की सदियों पुरानी पुश्त पर रखना मैं इक मज़दूर हों रोटी की ख़ातिर बोझ उठाता हों मरी क़िस्मत है बार-ए-हुक्मरानी पुश्त पर रखना तुझे भी इस… Continue reading ये दुनिया है यहां असली कहानी पुश्त पर रखना / एहतेशाम-उल-हक़ सिद्दीक़ी
बदली कहाँ हालात की तस्वीर वही है / एहतराम इस्लाम
बदली कहाँ हालात की तस्वीर वही है करा है वही, पाँव की जंजीर वही है बदली हुई इस घर की हर इक चीज है लेकिन दीवार पे लटकी हुई तस्वीर वही है लहराते हैं हर लम्हा नए रंग के सपने हर चाँद की आखों में बसे पीर वही है जो कुछ भी दया दृष्टि से… Continue reading बदली कहाँ हालात की तस्वीर वही है / एहतराम इस्लाम
अग्नि-वर्षा है तो है हाँ बर्फ़बारी है तो है (ग़ज़ल) / एहतराम इस्लाम
अग्नि वर्षा है तो है हाँ बर्फ़बारी है तो है, मौसमों के दरमियाँ इक जंग जारी है तो है । जिंदगी का लम्हा लम्हा उसपे भारी है तो है, क्रांतिकारी व्यक्ति कुछ हो क्रांतिकारी है तो है । मूर्ति सोने की निरर्थक वस्तु है उसके लिए, मोम की गुड़िया अगर बच्चे को प्यारी है तो… Continue reading अग्नि-वर्षा है तो है हाँ बर्फ़बारी है तो है (ग़ज़ल) / एहतराम इस्लाम
डर डर के जिसे मैं सुन रहा हूँ / एहतिशाम हुसैन
डर डर के जिसे मैं सुन रहा हूँ खोई हुई अपनी ही सदा हूँ हर लम्हा-ए-हिज्र इक सदी था पूछो न कि कब से जी रहा हूँ जब आँख में आ गए हैं आँसू ख़ुद बज़्म-ए-तरब से उठ गया हूँ छटती नहीं ख़ू-ए-हक़-शनासी सुक़रात हूँ ज़हर पी रहा हूँ रहबर की नहीं मुझे ज़रूरत हर… Continue reading डर डर के जिसे मैं सुन रहा हूँ / एहतिशाम हुसैन
अक़्ल पहुँची जो रिवायात के काशाने तक / एहतिशाम हुसैन
अक़्ल पहुँची जो रिवायात के काशाने तक एक ही रस्म मिल काबा से बुत-ख़ाने तक वादी-ए-शब में उजालों का गुज़र हो कैस दिए जलाए रहों पैग़ाम-ए-सहर आने तक ये भी देखा है कि साक़ी से मिला जाम मगर होंट तरसे हुए पहुँचे नहीं पैमाने तक रेगज़ारों में कहीं फूल खिला करते हैं रौशनी खो गई… Continue reading अक़्ल पहुँची जो रिवायात के काशाने तक / एहतिशाम हुसैन
भोलू हाथी / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
चींटी के बच्चे ने देखा नन्हा भोलू हाथी, सोचा उसने, चलो बनाएँ इसको अपना साथी। बोला क्यों फिर रहे अकेले प्यारे हाथी भाई, आओ हम तुम दोनों मिलकर खेलें छुपम-छुपाई! भोलू बोला मन तो करता खेलें मौज मनाएँ, लेकिन मैं डरता हूँ, बाहर मम्मी ना आ जाएँ। चींटी का बच्चा बोला तुम तनिक नहीं घबराना,… Continue reading भोलू हाथी / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
ऐसा कमाल / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
कंप्यूटर जी, तुम कैसे, ऐसा कमाल कर पाते हो, भारी-भारी प्रश्न गणित के पल में कर दिखलाते हो। एक सवाल लगाने में मुझको घंटा भर लगता है, और कभी इतना करके भी उत्तर गलत निकलता है। क्या तुमको जादू आता है जिसका असर दिखाते हो, या दिमाग के लिए, खास कुछ जड़ी-बूटियाँ खाते हो! मुझको… Continue reading ऐसा कमाल / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी