मम्मी से यों रोकर बोली- मेरी जीजी नंदा- जाऊँगी स्कूल तभी, जब दिखला दोगी चंदा! मम्मी बोली-चुप रह बिटिया कहना मेरा मान, पापा जी का हैट हटाकर उधर देख आ चाँद।
जो तू नहीं तो मौसम-ए-मलाल भी न आएगा / याक़ूब यावर
जो तू नहीं तो मौसम-ए-मलाल भी न आएगा गए दिनों के बाद अहद-ए-हाल भी न आएगा मिरी सुखन-सराइयों का ए’तिबार तो नहीं जो तू नहीं तो हिज्र का सवाल भी न आएगा अगर वो आज रात हदद-ए-इल्तिफात तोड़ दे कभी फिर उस से प्यार का खयाल भी न आएगा शब-ए-तिसाल है बिसात-ए-हिज ही उलट गई… Continue reading जो तू नहीं तो मौसम-ए-मलाल भी न आएगा / याक़ूब यावर
हम अपनी पुश्त पर खुली बहार ले के चल दिए / याक़ूब यावर
हम अपनी पुश्त पर खुली बहार ले के चल दिए सफ़र में थे सफर का ए’तिबार ले के चल दिए सड़क सड़क महक रहे थे गुल-बदन सजे हुए थके बदन इक इक गले का हार ले के चल दिए जिबिल्लतों का खून खौलने लगा जमीन पर तो अहद-ए-इर्तिका ख़ला के पार ले के चल दिए… Continue reading हम अपनी पुश्त पर खुली बहार ले के चल दिए / याक़ूब यावर
अगरचे हाल ओ हवादिस की हुक्मरानी है / याक़ूब आमिर
अगरचे हाल ओ हवादिस की हुक्मरानी है हर एक शख़्स की अपनी भी इक कहानी है मैं आज कल के तसव्वुर से शाद-काम तो हूँ ये और बात कि दो पल की ज़िंदगानी है निशान राह के देखे तो ये ख़याल आया मिरा क़दम भी किसी के लिए निशानी है ख़िज़ाँ नहीं है ब-जुज़ इक… Continue reading अगरचे हाल ओ हवादिस की हुक्मरानी है / याक़ूब आमिर
आतिश-ए-ग़म में भभूका दीदा-ए-नमनाक था / याक़ूब आमिर
आतिश-ए-ग़म में भभूका दीदा-ए-नमनाक था आँसुओं में जो ज़बाँ पर हर्फ़ था बेबाक था चैन ही कब लेने देता था किसी का ग़म हमें ये न देखा उम्र भर अपना भी दामन चाक था हम शिकस्ता-दिल न बहरा-मंद दुनिया से हुए वर्ना इस आलूदगी से किस का दामन पाक था जौहर-ए-फ़न मेरा ख़ुद मेरी नज़र… Continue reading आतिश-ए-ग़म में भभूका दीदा-ए-नमनाक था / याक़ूब आमिर
मान के हर प्रश्न पर / यश मालवीय
मन की ऋतु बदली तुम आए ! रात हुई उजली तुम आए ! ओस कणों से लगे बीतने घंटे आधे-पौने बाँसों लगे उछलने फिर से प्राणों के मृग-छौने फूल हुए-तितली तुम आए ! लगी दौड़ने तन पर जैसे कोई ढीठ गिलहरी दिये जले रोशनी नहाई पुलकी सूनी देहरी लिए दही-मछली तुम आए! आँगन की अल्पना… Continue reading मान के हर प्रश्न पर / यश मालवीय
सूनापन चहका-चहका / यश मालवीय
अभिवादन बादल-बादल ख़बर लिये वन-उपवन की कितने आशीर्वाद लिये पहली बरखा सावन की बरस-बरस हैं घन बरसे अब की भी घुमड़े बरसे लेकिन पिछली ऋतु जैसे मन के हिरन नहीं तरसे सूनापन चहका-चहका चिड़िया चहकी आँगन की रूनक-झुनक-झुन पायल की बूँदों की रुनझुन-रूनझुन सगुन हो रहे क्षण-क्षण पर स्वस्तिक सजा, मिटा असगुन घड़ी-घड़ी पर छवि… Continue reading सूनापन चहका-चहका / यश मालवीय
श्री सरस्वती वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’
बिपति बिदारीबे की, कुमति निबारबे की, सुरति सँभारबे की, जाकी परी बान है। सुजस दिबाइबे की, सु-रस पिबाइबे की, सरस बनाइबे की अदभुत आन है। भाबना बढ़ाइबे की, भाउ बिकसाइबे की, सुख सरसाइबे की रुचि-सुचि सान है। ‘प्रीतम’ सुजान जान ऐसी बुद्धि दायनी कों, बन्दों बार-बार जाकी महिमा महान है।। तो सों ही सरंगे मन… Continue reading श्री सरस्वती वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’
श्री गणेश वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’
बिघन बिदारबे कौ, सगुन सुधारीबे कौ, अघन उधारिबे कौ जाकौ नित्य काम है। मोद के मनाइबे कौ, मोदक के खाइबे कौ, सोध के सुझाइबे कौ, गुन अभिराम है। विद्या-बुद्धि, ऋद्धि-सिद्धि, भक्ति-मुक्ति दैवे ही कौ, परिगौ सुभाव सदा ललित ललाम है। ‘प्रीतम’ पियारे प्राण ग्यान गुन बारे ऐसे, देव गनराज जू कों सतत प्रणाम है।। बुद्धि… Continue reading श्री गणेश वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’
श्री गुरु पद नख वन्दना/ यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’
सोभित सलौने सुभ्र सरस सुधा सों सने, सील सिंधु रूप लसें जिन सम चन्द ना। कैधों रवि प्रभा पुंज कुंज सेज लोभें मंजु, हिय लौ प्रकासें भासें राखें मति मन्द ना। जप तप जोग जाग जुरि कें समाने किधौं, जिन्हें हेर-हेर अघ करत हैं क्रन्दना। ‘प्रीतम’ अनन्द नाम श्री गुरु श्री ‘विट्ठलेश’, रटों नि सियाम… Continue reading श्री गुरु पद नख वन्दना/ यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’