श्री सरस्वती वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’

बिपति बिदारीबे की, कुमति निबारबे की, सुरति सँभारबे की, जाकी परी बान है। सुजस दिबाइबे की, सु-रस पिबाइबे की, सरस बनाइबे की अदभुत आन है। भाबना बढ़ाइबे की, भाउ बिकसाइबे की, सुख सरसाइबे की रुचि-सुचि सान है। ‘प्रीतम’ सुजान जान ऐसी बुद्धि दायनी कों, बन्दों बार-बार जाकी महिमा महान है।। तो सों ही सरंगे मन… Continue reading श्री सरस्वती वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’

श्री गणेश वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’

बिघन बिदारबे कौ, सगुन सुधारीबे कौ, अघन उधारिबे कौ जाकौ नित्य काम है। मोद के मनाइबे कौ, मोदक के खाइबे कौ, सोध के सुझाइबे कौ, गुन अभिराम है। विद्या-बुद्धि, ऋद्धि-सिद्धि, भक्ति-मुक्ति दैवे ही कौ, परिगौ सुभाव सदा ललित ललाम है। ‘प्रीतम’ पियारे प्राण ग्यान गुन बारे ऐसे, देव गनराज जू कों सतत प्रणाम है।। बुद्धि… Continue reading श्री गणेश वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’

श्री गुरु पद नख वन्दना/ यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’

सोभित सलौने सुभ्र सरस सुधा सों सने, सील सिंधु रूप लसें जिन सम चन्द ना। कैधों रवि प्रभा पुंज कुंज सेज लोभें मंजु, हिय लौ प्रकासें भासें राखें मति मन्द ना। जप तप जोग जाग जुरि कें समाने किधौं, जिन्हें हेर-हेर अघ करत हैं क्रन्दना। ‘प्रीतम’ अनन्द नाम श्री गुरु श्री ‘विट्ठलेश’, रटों नि सियाम… Continue reading श्री गुरु पद नख वन्दना/ यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’