गड़बड़-घोटाला / यादराम ‘रसेंद्र’

कविता करने बैठा टिल्लू कागज-कलम संभाल, बस इतना ही लिख पाया था हम भारत के लाल। इतने में आ चढ़ा गोद में उसका कुत्ता काला, लुढ़क गई दावात, हो गया सब गड़बड़-घोटाला!

कसम राम की / यादराम ‘रसेंद्र’

दूध देखकर, आँख फाड़कर, बोली मेरी नानी, ‘अरे दूधिए, हद है भैया, दूध बनाा पानी।’ हाथ जोड़कर कहे दूधिया, ‘‘कसम राम की, मैया मैंने नहीं मिलाया, पानी अधिक पी गई गैया!’

चाँद / यादराम ‘रसेंद्र’

मम्मी से यों रोकर बोली- मेरी जीजी नंदा- जाऊँगी स्कूल तभी, जब दिखला दोगी चंदा! मम्मी बोली-चुप रह बिटिया कहना मेरा मान, पापा जी का हैट हटाकर उधर देख आ चाँद।