जो तू नहीं तो मौसम-ए-मलाल भी न आएगा / याक़ूब यावर

जो तू नहीं तो मौसम-ए-मलाल भी न आएगा गए दिनों के बाद अहद-ए-हाल भी न आएगा मिरी सुखन-सराइयों का ए’तिबार तो नहीं जो तू नहीं तो हिज्र का सवाल भी न आएगा अगर वो आज रात हदद-ए-इल्तिफात तोड़ दे कभी फिर उस से प्यार का खयाल भी न आएगा शब-ए-तिसाल है बिसात-ए-हिज ही उलट गई… Continue reading जो तू नहीं तो मौसम-ए-मलाल भी न आएगा / याक़ूब यावर

हम अपनी पुश्त पर खुली बहार ले के चल दिए / याक़ूब यावर

हम अपनी पुश्त पर खुली बहार ले के चल दिए सफ़र में थे सफर का ए’तिबार ले के चल दिए सड़क सड़क महक रहे थे गुल-बदन सजे हुए थके बदन इक इक गले का हार ले के चल दिए जिबिल्लतों का खून खौलने लगा जमीन पर तो अहद-ए-इर्तिका ख़ला के पार ले के चल दिए… Continue reading हम अपनी पुश्त पर खुली बहार ले के चल दिए / याक़ूब यावर