आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है

आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है ताक़ते-बेदादे-इन्तज़ार नहीं है देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर के बदले नश्शा बअन्दाज़-ए-ख़ुमार नहीं है गिरिया निकाले है तेरी बज़्म से मुझ को हाये! कि रोने पे इख़्तियार नहीं है हम से अबस है गुमान-ए-रन्जिश-ए-ख़ातिर ख़ाक में उश्शाक़ की ग़ुब्बार नहीं है दिल से उठा लुत्फे-जल्वाहा-ए-म’आनी ग़ैर-ए-गुल आईना-ए-बहार नहीं… Continue reading आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा कोई बताओ कि वो शोखे-तुंदख़ू क्या है ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है चिपक रहा है बदन पर लहू से… Continue reading हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

तुम न आए तो क्या सहर न हुई

तुम न आए तो क्या [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”प्रात:”]सहर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  न हुई हाँ मगर चैन से [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”गुज़रना”]बसर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  न हुई मेरा [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”रोना-धोना, शिकवा”]नाला[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]   सुना ज़माने ने एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई

शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया

शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया तमाशा-ए बयक-कफ़ बुरदन-ए सद दिल पसंद आया ब फ़ैज़-ए बे-दिली नौमीदी-ए जावेद आसां है कुशायिश को हमारा `उक़द-ए मुश्किल पसंद आया हवा-ए सैर-ए गुल आईना-ए बे-मिहरी-ए क़ातिल कि अंदाज़-ए ब ख़ूं-ग़लतीदन-ए बिस्मिल पसंद आया रवानियाँ -ए मौज-ए ख़ून-ए बिस्मिल से टपकता है कि लुतफ़-ए बे-तहाशा-रफ़तन-ए क़ातिल पसंद आया असद… Continue reading शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया

ज़हर-ए-ग़म कर चुका था मेरा काम

न होगा यक बयाबाँ माँदगी से ज़ौक़ कम मेरा हुबाब-ए-मौज-ए-रफ़्तार है, नक़्श-ए-क़दम मेरा मुहब्बत थी चमन से, लेकिन अब ये बेदिमाग़ी है के मौज-ए-बू-ए-गुल से नाक में आता है दम मेरा

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”परिचित”]नुमायाँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]   मुझसे मेरी रफ़्तार से भागे है बयाबाँ मुझसे [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”खेल-शीर्षक की शिक्षा”]दर्से-उन्वाने-तमाशा[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]   [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”उपेक्षित”]बा-तग़ाफ़ुल[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]   [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”हर्षित”]ख़ुशतर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] है[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”बिखरी पलकों को सी देने वाला धागा मुझसे”]निगहे- रिश्ता-ए-शीराज़ा-ए-मिज़गाँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”हृदय की तपिश के डर से”]वहशते-आतिशे-दिल[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  से [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”अकेलेपन की रात”]शबे-तन्हाई[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]   में [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”धुएँ की तरह”]सूरते-दूद[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  रहा साया [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”बचता”]गुरेज़ाँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]   मुझसे… Continue reading हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे

ख़ुश हो ऐ बख़्त दक है आज तेरे सर सेहरा

ख़ुश हो ऐ [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”बख़्त नाम का राजकुमार”]बख़्त[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  कि है आज तेरे सर सेहरा बाँध शहज़ादा जवाँ बख़्त के सर पर सेहरा क्या ही इस चाँद-से मुखड़े पे भला लगता है है तेरे हुस्ने-दिल [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”आलौकिक सौंदर्य”]अफ़रोज़[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  का[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”अलंकरण”]ज़ेवर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  सेहरा सर पे चढ़ना तुझे फबता है पर ऐ[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”टोपी का किनारा”]तर्फ़े-कुलाह[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] मुझको डर है कि… Continue reading ख़ुश हो ऐ बख़्त दक है आज तेरे सर सेहरा

कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं

कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं इक तीर मेरे सीने में मारा के हाये हाये वो सब्ज़ा ज़ार हाये मुतर्रा के है ग़ज़ब वो नाज़नीं बुतान-ए-ख़ुदआरा के हाये हाये सब्रआज़्मा वो उन की निगाहें के हफ़ नज़र ताक़तरूबा वो उन का इशारा के हाये हाये वो मेवा हाये ताज़ा-ए-शीरीं के वाह वाह वो बादा… Continue reading कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं

ये न थी हमारी क़िस्मत

ये न थी हमारी क़िस्मत के[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”प्रिय से मिलन”]विसाले यार[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]   होता अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता

ये तेरा घर ये मेरा घर

ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर तो पहले आके माँग ले, मेरी नज़र तेरी नज़र ये घर बहुत हसीन है न बादलों की छाँव में, न चाँदनी के गाँव में न फूल जैसे रास्ते, बने हैं इसके वास्ते मगर ये घर अजीब है, ज़मीन के क़रीब है ये ईँट पत्थरों… Continue reading ये तेरा घर ये मेरा घर