जो मुझ को देख के कल रात रो पड़ा था बहुत वो मेरा चख भी न था फिर भी आश्ना था बहुत मैं अब भी रात गए उस की गूँज सुनता हूँ वो हर्फ़ कम था बहुत कम मगर सदा था बहुत ज़मीं के सीने में सूरज कहाँ से उतरे हैं फ़लक पे दूर कोई… Continue reading जो मुझ को देख के कल रात रो पड़ा था बहुत / अख़्तर होश्यारपुरी
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हम अक्सर तीरगी में अपने पीछे छुप गए हैं / अख़्तर होश्यारपुरी
हम अक्सर तीरगी में अपने पीछे छुप गए हैं मगर जब रास्तों में चाँद उभरा चल पड़े हैं ज़माना अपनी उर्यानी पे ख़ूँ रोएगा कब तक हमें देखो कि अपने आप को ओढ़े हुए हैं मिरा बिस्तर किसी फ़ुट-पाथ पर जा कर लगा दो मिरे बच्चे अभी से मुझ से तरका माँगते हैं बुलंद आवाज़… Continue reading हम अक्सर तीरगी में अपने पीछे छुप गए हैं / अख़्तर होश्यारपुरी
आँधी में चराग़ जल रहे हैं / अख़्तर होश्यारपुरी
आँधी में चराग़ जल रहे हैं क्या लोग हवा में पल रहे हैं ऐ जलती रूतो गवाह रहना हम नंगे पाँव चल रहे हैं कोहसारों पे बर्फ़ जब से पिघली दरिया तेवर बदल रहे हैं मिट्टी में अभी नमी बहुत है पैमाने हुनूज़ ढल रहे हैं कह दे कोई जा के ताएरों से च्यूँटी के… Continue reading आँधी में चराग़ जल रहे हैं / अख़्तर होश्यारपुरी
शेर / ‘अख्तर’ सईद खान
ज़िंदगी छीन ले बख़्शी हुई दौलत अपनी तू ने ख़्वाबों के सिवा मुझ को दिया भी क्या है.
ये हम से पूछते हो रंज-ए-इम्तिहाँ / ‘अख्तर’ सईद खान
ये हम से पूछते हो रंज-ए-इम्तिहाँ क्या है तुम्हीं कहो सिला-ए-ख़ून-ए-कुश्तगाँ क्या है असीर-ए-बंद-ए-ख़िज़ाँ हूँ न पूछ ऐ सय्याद ख़िराम क्या है सबा क्या है गुलसिताँ क्या है हुई है उम्र के दिल को नज़र से रब्त नहीं मगर ये सिलसिला-ए-चश्म-ए-ख़ूँ-फ़शाँ क्या है नज़र उठे तो न समझूँ झुके तो क्या समझूँ सुकूत-ए-नाज़ ये पैरा-ए-बयाँ… Continue reading ये हम से पूछते हो रंज-ए-इम्तिहाँ / ‘अख्तर’ सईद खान
याद आएँ जो अय्याम-ए-बहाराँ / ‘अख्तर’ सईद खान
याद आएँ जो अय्याम-ए-बहाराँ तो किधर जाएँ ये तो कोई चारा नहीं सर फोड़ के मर जाएँ क़दमों के निशाँ हैं न कोई मील का पत्थर इस राह से अब जिन को गुज़रना है गुज़र जाएँ रस्में ही बदल दी हैं ज़माने ने दिलों की किस वज़ा से उस बज़्म में ऐ दीदा-ए-तर जाएँ जाँ… Continue reading याद आएँ जो अय्याम-ए-बहाराँ / ‘अख्तर’ सईद खान
सैर-गाह-ए-दुनिया का / ‘अख्तर’ सईद खान
सैर-गाह-ए-दुनिया का हासिल-ए-तमाशा क्या रंग-ओ-निकहत-ए-गुल पर अपना था इजारा क्या खेल है मोहब्बत में जान ओ दिल का सौदा क्या देखिये दिखाती है अब ये ज़िंदगी क्या क्या जब भी जी उमड़ आया रो लिए घड़ी भर को आँसुओं की बारिश से मौसमों का रिश्ता क्या कब सर-ए-नज़ारा था हम को बज़्म-ए-आलम का यूँ भी… Continue reading सैर-गाह-ए-दुनिया का / ‘अख्तर’ सईद खान
सफ़र ही शर्त-ए-सफ़र है / ‘अख्तर’ सईद खान
सफ़र ही शर्त-ए-सफ़र है तो ख़त्म क्या होगा तुम्हारे घर से उधर भी ये रास्ता होगा ज़माना सख़्त गिराँ ख़्वाब है मगर ऐ दिल पुकार तो सही कोई तो जागता होगा ये बे-सबब नहीं आए हैं आँख में आँसू ख़ुशी का लम्हा कोई याद आ गया होगा मेरा फ़साना हर इक दिल का माजरा तो… Continue reading सफ़र ही शर्त-ए-सफ़र है / ‘अख्तर’ सईद खान
मुद्दत से लापता है / ‘अख्तर’ सईद खान
मुद्दत से लापता है ख़ुदा जाने क्या हुआ फिरता था एक शख़्स तुम्हें पूछता हुआ वो ज़िंदगी थी आप थे या कोई ख़्वाब था जो कुछ था एक लम्हे को बस सामना हुआ हम ने तेरे बग़ैर भी जी कर दिखा दिया अब ये सवाल क्या है के फिर दिल का क्या हुआ सो भी… Continue reading मुद्दत से लापता है / ‘अख्तर’ सईद खान
कहें किस से हमारा / ‘अख्तर’ सईद खान
कहें किस से हमारा खो गया क्या किसी को क्या के हम को हो गया क्या खुली आँखों नज़र आता नहीं कुछ हर इक से पूछता हूँ वो गया क्या मुझे हर बात पर झुटला रही है ये तुझ बिन ज़िंदगी को हो गया क्या उदासी राह की कुछ कह रही है मुसाफ़िर रास्ते में… Continue reading कहें किस से हमारा / ‘अख्तर’ सईद खान