शेर / ‘अख्तर’ सईद खान

ज़िंदगी छीन ले बख़्शी हुई दौलत अपनी तू ने ख़्वाबों के सिवा मुझ को दिया भी क्या है.

ये हम से पूछते हो रंज-ए-इम्तिहाँ / ‘अख्तर’ सईद खान

ये हम से पूछते हो रंज-ए-इम्तिहाँ क्या है तुम्हीं कहो सिला-ए-ख़ून-ए-कुश्तगाँ क्या है असीर-ए-बंद-ए-ख़िज़ाँ हूँ न पूछ ऐ सय्याद ख़िराम क्या है सबा क्या है गुलसिताँ क्या है हुई है उम्र के दिल को नज़र से रब्त नहीं मगर ये सिलसिला-ए-चश्म-ए-ख़ूँ-फ़शाँ क्या है नज़र उठे तो न समझूँ झुके तो क्या समझूँ सुकूत-ए-नाज़ ये पैरा-ए-बयाँ… Continue reading ये हम से पूछते हो रंज-ए-इम्तिहाँ / ‘अख्तर’ सईद खान

याद आएँ जो अय्याम-ए-बहाराँ / ‘अख्तर’ सईद खान

याद आएँ जो अय्याम-ए-बहाराँ तो किधर जाएँ ये तो कोई चारा नहीं सर फोड़ के मर जाएँ क़दमों के निशाँ हैं न कोई मील का पत्थर इस राह से अब जिन को गुज़रना है गुज़र जाएँ रस्में ही बदल दी हैं ज़माने ने दिलों की किस वज़ा से उस बज़्म में ऐ दीदा-ए-तर जाएँ जाँ… Continue reading याद आएँ जो अय्याम-ए-बहाराँ / ‘अख्तर’ सईद खान

सैर-गाह-ए-दुनिया का / ‘अख्तर’ सईद खान

सैर-गाह-ए-दुनिया का हासिल-ए-तमाशा क्या रंग-ओ-निकहत-ए-गुल पर अपना था इजारा क्या खेल है मोहब्बत में जान ओ दिल का सौदा क्या देखिये दिखाती है अब ये ज़िंदगी क्या क्या जब भी जी उमड़ आया रो लिए घड़ी भर को आँसुओं की बारिश से मौसमों का रिश्ता क्या कब सर-ए-नज़ारा था हम को बज़्म-ए-आलम का यूँ भी… Continue reading सैर-गाह-ए-दुनिया का / ‘अख्तर’ सईद खान

सफ़र ही शर्त-ए-सफ़र है / ‘अख्तर’ सईद खान

सफ़र ही शर्त-ए-सफ़र है तो ख़त्म क्या होगा तुम्हारे घर से उधर भी ये रास्ता होगा ज़माना सख़्त गिराँ ख़्वाब है मगर ऐ दिल पुकार तो सही कोई तो जागता होगा ये बे-सबब नहीं आए हैं आँख में आँसू ख़ुशी का लम्हा कोई याद आ गया होगा मेरा फ़साना हर इक दिल का माजरा तो… Continue reading सफ़र ही शर्त-ए-सफ़र है / ‘अख्तर’ सईद खान

मुद्दत से लापता है / ‘अख्तर’ सईद खान

मुद्दत से लापता है ख़ुदा जाने क्या हुआ फिरता था एक शख़्स तुम्हें पूछता हुआ वो ज़िंदगी थी आप थे या कोई ख़्वाब था जो कुछ था एक लम्हे को बस सामना हुआ हम ने तेरे बग़ैर भी जी कर दिखा दिया अब ये सवाल क्या है के फिर दिल का क्या हुआ सो भी… Continue reading मुद्दत से लापता है / ‘अख्तर’ सईद खान

कहें किस से हमारा / ‘अख्तर’ सईद खान

कहें किस से हमारा खो गया क्या किसी को क्या के हम को हो गया क्या खुली आँखों नज़र आता नहीं कुछ हर इक से पूछता हूँ वो गया क्या मुझे हर बात पर झुटला रही है ये तुझ बिन ज़िंदगी को हो गया क्या उदासी राह की कुछ कह रही है मुसाफ़िर रास्ते में… Continue reading कहें किस से हमारा / ‘अख्तर’ सईद खान

कभी ज़बाँ पे न आया / ‘अख्तर’ सईद खान

कभी ज़बाँ पे न आया के आरज़ू क्या है ग़रीब दिल पे अजब हसरतों का साया है सबा ने जागती आँखों को चूम चूम लिया न जाने आख़िर-ए-शब इंतिज़ार किस का है ये किस की जलवा-गरी काएनात है मेरी के ख़ाक हो के भी दिल शोला-ए-तमन्ना है तेरी नज़र की बहार-आफ़रीनियाँ तस्लीम मगर ये दिल… Continue reading कभी ज़बाँ पे न आया / ‘अख्तर’ सईद खान

दिल-ए-शोरीदा की वहशत / ‘अख्तर’ सईद खान

दिल-ए-शोरीदा की वहशत नहीं देखी जाती रोज़ इक सर पे क़यामत नहीं देखी जाती अब उन आँखों में वो अगली सी नदामत भी नहीं अब दिल-ए-ज़ार की हालत नहीं देखी जाती बंद कर दे कोई माज़ी का दरीचा मुझ पर अब इस आईने में सूरत नहीं देखी जाती आप की रंजिश-ए-बे-जा ही बहुत है मुझ… Continue reading दिल-ए-शोरीदा की वहशत / ‘अख्तर’ सईद खान

दिल की राहें ढूँढने / ‘अख्तर’ सईद खान

दिल की राहें ढूँडने जब हम चले हम से आगे दीदा-ए-पुर-नम चले तेज़ झोंका भी है दिल को ना-गवार तुम से मस हो कर हवा कम कम चले थी कभी यूँ क़द्र-ए-दिल इस बज़्म में जैसे हाथों-हाथ जाम-ए-जम चले है वो आरिज़ और उस पर चश्म-ए-पुर-नम गुल पे जैसे क़तरा-ए-शबनम चले आमद-ए-सैलाब का वक़्फ़ा था… Continue reading दिल की राहें ढूँढने / ‘अख्तर’ सईद खान