दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह मैनें तुझसे चाँद सितारे कब माँगे रौशन दिल बेदार नज़र दे या अल्लाह सूरज सी इक चीज़ तो हम सब देख चुके सचमुच की अब कोई सहर दे या अल्लाह या धरती के ज़ख़्मों पर मरहम रख दे या मेरा… Continue reading दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह / क़तील
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चराग़ दिल के जलाओ कि ईद का दिन है / क़तील
चराग़ दिल के जलाओ कि ईद का दिन है तराने झूम के गाओ कि ईद का दिन है ग़मों को दिल से भुलाओ कि ईद का दिन है ख़ुशी से बज़्म सजाओ कि ईद का दिन है हुज़ूर उसकी करो अब सलामती की दुआ सर-ए-नमाज़ झुकाओ कि ईद का दिन है सभी मुराद हो पूरी… Continue reading चराग़ दिल के जलाओ कि ईद का दिन है / क़तील
बेचैन बहारों में क्या-क्या है / क़तील
बेचैन बहारों में क्या-क्या है जान की ख़ुश्बू आती है जो फूल महकता है उससे तूफ़ान की ख़ुश्बू आती है कल रात दिखा के ख़्वाब-ए-तरब जो सेज को सूना छोड़ गया हर सिलवट से फिर आज उसी मेहमान की ख़ुश्बू आती है तल्कीन-ए-इबादत की है मुझे यूँ तेरी मुक़द्दस आँखों ने मंदिर के दरीचों से… Continue reading बेचैन बहारों में क्या-क्या है / क़तील
अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ / क़तील
अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ थक गया मैं करते-करते याद तुझको अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा रोशनी हो, घर जलाना चाहता हूँ आख़री हिचकी तेरे ज़ानों पे… Continue reading अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ / क़तील
अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझ को / क़तील
अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको मैं हूँ तेरा नसीब अपना बना ले मुझको मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के मानी ये तेरी सादादिली मार न डाले मुझको मैं समंदर भी हूँ, मोती भी हूँ, ग़ोताज़न भी कोई भी नाम मेरा लेके बुला ले मुझको तूने देखा नहीं आईने से आगे कुछ… Continue reading अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझ को / क़तील
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की / क़तील
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की कौन सियाही घोल रहा था वक़्त के बहते दरिया में मैंने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की वस्ल की रात न जाने क्यूँ इसरार था उनको जाने पर वक़्त से पहले डूब गए तारों ने… Continue reading अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की / क़तील
जब भी चाहें एक नई सूरत बना लेते हैं लोग / क़तील
जब भी चाहें एक नई सूरत बना लेते हैं लोग एक चेहरे पर कई चेहरे सजा लेते हैं लोग मिल भी लेते हैं गले से अपने मतलब के लिए आ पड़े मुश्किल तो नज़रें भी चुरा लेते हैं लोग है बजा उनकी शिकायत लेकिन इसका क्या इलाज बिजलियाँ खुद अपने गुलशन पर गिरा लेते हैं… Continue reading जब भी चाहें एक नई सूरत बना लेते हैं लोग / क़तील
मुझे आई ना जग से लाज / क़तील
मुझे आई ना जग से लाज मैं इतना ज़ोर से नाची आज, के घुंघरू टूट गए कुछ मुझ पे नया जोबन भी था कुछ प्यार का पागलपन भी था कभी पलक पलक मेरी तीर बनी एक जुल्फ मेरी ज़ंजीर बनी लिया दिल साजन का जीत वो छेड़े पायलिया ने गीत, के घुंघरू टूट गए मैं… Continue reading मुझे आई ना जग से लाज / क़तील
हाथ दिया उसने मेरे हाथ में / क़तील
हाथ दिया उसने मेरे हाथ में। मैं तो वली बन गया एक रात मे॥ इश्क़ करोगे तो कमाओगे नाम तोहमतें बटती नहीं खैरात में॥ इश्क़ बुरी शै सही, पर दोस्तो। दख्ल न दो तुम, मेरी हर बात में॥ हाथ में कागज़ की लिए छतरियाँ घर से ना निकला करो बरसात में॥ रत बढ़ाया उसने न… Continue reading हाथ दिया उसने मेरे हाथ में / क़तील
आओ कोई तफरीह का सामान किया जाए / क़तील
आओ कोई तफरीह का सामान किया जाए फिर से किसी वाईज़ को परेशान किया जाए॥ बे-लर्जिश-ए-पा मस्त हो उन आँखो से पी कर यूँ मोह-त-सीबे शहर को हैरान किया जाए॥ हर शह से मुक्क्दस है खयालात का रिश्ता क्यूँ मस्लिहतो पर इसे कुर्बान किया जाए॥ मुफलिस के बदन को भी है चादर की ज़रूरत अब… Continue reading आओ कोई तफरीह का सामान किया जाए / क़तील