हाथ दिया उसने मेरे हाथ में।
मैं तो वली बन गया एक रात मे॥
इश्क़ करोगे तो कमाओगे नाम
तोहमतें बटती नहीं खैरात में॥
इश्क़ बुरी शै सही, पर दोस्तो।
दख्ल न दो तुम, मेरी हर बात में॥
हाथ में कागज़ की लिए छतरियाँ
घर से ना निकला करो बरसात में॥
रत बढ़ाया उसने न ‘क़तील’ इसलिए
फर्क था दोनों के खयालात में॥