पापा याद बहुत आता है मुझको दादी वाला गाँव, दिन-दिन भर घूमना खेत में वह भी बिल्कुल नंगे पाँव। मम्मी थीं बीमार इसी से पिछले साल नहीं जा पाए, आमों का मौसम था फिर भी छककर आम नहीं खा पाए। वहाँ न कोई रोक टोक है दिन भर खेलो मौज मनाओ, चाहे किसी खेत में… Continue reading दादी वाला गाँव / इंदिरा गौड़
Tag: ग़ज़ल
बादल भैया / इंदिरा गौड़
बादल भैया, बादल भैया, बड़े घुमक्कड़ बादल भैया! आदत पाई है सैलानी कभी किसी की बात न मानी, कड़के बिजली जरा जोर से- आँखों में भर लाते पानी। कभी-कभी इतना रोते हो भर जाते हैं ताल-तलैया! सूरज, चंदा और सितारे, सबके सब तुमसे हैं हारे, तुम जब आ जाते अपनी पर डरकर छिप जाते बेचारे।… Continue reading बादल भैया / इंदिरा गौड़
घुमक्कड़ चिड़िया / इंदिरा गौड़
अरी! घुमक्कड़ चिड़िया सुन उड़ती फिरे कहाँ दिन-भर, कुछ तो आखिर पता चले कब जाती है अपने घर। रोज-रोज घर में आती पर अनबूझ पहेली-सी फिर भी जाने क्यों लगती अपनी सगी सहेली-सी। कितना अच्छा लगता जब- मुझे ताकती टुकर-टुकर! आँखें, गरदन मटकाती साथ लिए चिड़ियों का दल चौके में घुस धीरे-से लेकर गई दाल-चावल।… Continue reading घुमक्कड़ चिड़िया / इंदिरा गौड़
ता-ता थैया / आचार्य अज्ञात
उड़े झील से बगुले राजा मछली लगी बजाने बाजा, पेट पीटकर मेढक भैया लगे नाचने ता-ता थैया।
टिल्ली-लिल्ली / आचार्य अज्ञात
ईची-मीची, आँखें भींची, आया लटकू, बैठा मटकू खट-खट खटका, फूटा मटका खीं-खीं बिल्ली, टिल्ली-लिल्ली।
गप्पू जी फिसले / आचार्य अज्ञात
आलू की पकौड़ी, दही के बड़े, मुन्नी की चुन्नी में तारे जड़े। मँूग की मँगौड़ी, कलमी बड़े, मंगू की छत पर दो बंदर लड़े। खस्ता कचौड़ी, काँजी के बड़े, गप्पू जी फिसले तो औंधे पड़े!
चयन / आग्नेय
चुन नहीं सका अभी तक जीवन और मृत्यु के बीच उसके आगमन से लगता था वह सम्पूर्ण जीवन है वह जीवन का आनन्द है उसका आह्लाद है जीवन और मृत्यु के बीच समय ने बनाना चाहा शाश्वत प्रेम का सेतु जीवन में उसका ठहरना और निरन्तर रहना सम्पूर्ण जीवन का आभास देकर अचानक उसका चले… Continue reading चयन / आग्नेय
प्रतिध्वनि / आग्नेय
देखना एक दिन इस तरह चला जाऊंगा ढूंढोगी तो दिखूंगा नहीं लौटता रहा हूँ बार-बार प्रतिध्वनि बनकर तुम्हारे जीवन में देखना एक दिन इस तरह चला जाऊंगा लौट नहीं पाऊंगा प्रतिध्वनि बनकर तुम्हारे जीवन में।
प्रस्थान / आग्नेय
तुम्हें आख़िरकार देख रहा हूँ तुम्हारी आँखों में गुज़रे वक़्त के आँसू हैं मैं तुम्हें हमेशा के लिए छोड़कर जाने वाला हूँ यकायक देखता हूँ तुम्हारे पीछे खड़ी एक दूसरी स्त्री को जो लगभग तुम्हारी जैसी है मुझ से कह रही है किसी को छोड़कर तुम कैसे पा सकोगे मुझे?
मरण / आग्नेय
कुछ लोग जीते रहते हैं आगे के समय में मर जाने के लिए अब तक मैं कैसे जीता रहा हूँ जब पिछले समय में मर चुका हूँ कई-कई बार जिससे तुम अब मिलती हो वह मैं नहीं मेरा प्रेत है मैं ऎसा प्रेत हूँ जिसे न जाने क्यों तुम प्रेम मानने से अस्वीकार करती हो… Continue reading मरण / आग्नेय