कहता हूँ मुहब्बत है ख़ुदा / हनीफ़ साग़र

कहता हूँ महब्बत है ख़ुदा सोच समझकर ये ज़ुर्म अगर है तो बता सोच समझकर कब की मुहब्बत ने ख़ता सोच समझकर कब दी ज़माने ने सज़ा सोच समझकर वो ख़्वाब जो ख़ुशबू की तरह हाथ न आए उन ख़्वाबों को आंखो में बसा सोच समझकर कल उम्र का हर लम्हा कही सांप न बन… Continue reading कहता हूँ मुहब्बत है ख़ुदा / हनीफ़ साग़र

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है / हैदर अली ‘आतिश’

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है ज़मीं याँ की चहारूम आस्माँ है ख़ुदा पिन्हाँ है आलम आश्कारा निहाँ है गंज वीराना अयाँ है तकल्लुफ़ से बरी है हुस्न-ए-ज़ाती क़बा-ए-गुल में गुल-बूटा कहाँ है पसीजेगा कभी तो दिल किसी का हमेशा अपनी आहों का धुआँ है बरंग-ए-बू हूँ गुलशन में मैं बुलबुल बग़ल ग़ुंचे के मेरा… Continue reading ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है / हैदर अली ‘आतिश’