हृदय को हम सदा तेरे लिए तैयार करते हैं। तुझे आनंद-सा सुख-सा सदा हम प्यार करते हैं॥ तुझे हँसता हुआ देखें किसी दुखिया के मुखड़े पर। इसी से सत्पुरुष प्रत्येक का उपकार करते हैं॥ बताते हैं पता तारे गगन में और उपवन में, सुमन संकेत तेरी ओर बारंबार करते हैं॥ अनोखी बात है तेरे निराले… Continue reading उपचार / रामनरेश त्रिपाठी
तेरी छवि / रामनरेश त्रिपाठी
हे मेरे प्रभु! व्याप्त हो रही है तेरी छवि त्रिभुवन में। तेरी ही छवि का विकास है कवि की वाणी में मन में॥ माता के नःस्वार्थ नेह में प्रेममयी की माया में। बालक के कोमल अधरों पर मधुर हास्य की छाया में॥ पतिव्रता नारी के बल में वृद्धों के लोलुप मन में। होनहार युवकों के… Continue reading तेरी छवि / रामनरेश त्रिपाठी
अन्वेषण / रामनरेश त्रिपाठी
मैं ढूँढता तुझे था, जब कुंज और वन में। तू खोजता मुझे था, तब दीन के सदन में॥ तू ‘आह’ बन किसी की, मुझको पुकारता था। मैं था तुझे बुलाता, संगीत में भजन में॥ मेरे लिए खड़ा था, दुखियों के द्वार पर तू मैं बाट जोहता था, तेरी किसी चमन में॥ बनकर किसी के आँसू,… Continue reading अन्वेषण / रामनरेश त्रिपाठी
हे प्रभो आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिए / रामनरेश त्रिपाठी
हे प्रभो! आनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए। शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए। लीजिए हमको शरण में हम सदाचारी बनें। ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रत-धारी बनें॥ प्रार्थना की उपर्युक्त चार पंक्तियाँ ही देश के कोने-कोने में गायी जाती हैं। लेकिन सच तो ये है कि माननीय त्रिपाठी जी ने इस प्रार्थना को छह पंक्तियों में… Continue reading हे प्रभो आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिए / रामनरेश त्रिपाठी
मुँह तका ही करे है जिस-तिस का / मीर तक़ी ‘मीर’
मुँह तका ही करे है जिस-तिस का हैरती है ये आईना किस का जाने क्या गुल खिलाएगी गुल-रुत ज़र्द चेह्रा है डर से नर्गिस का शाम ही से बुझा-सा रहता है दिल हो गोया चराग़ मुफ़लिस का आँख बे-इख़्तियार भर आई हिज्र सीने में जब तेरा सिसका थे बुरे मुगाबचो के तेवर लेक शैख़ मयखाने… Continue reading मुँह तका ही करे है जिस-तिस का / मीर तक़ी ‘मीर’
मिलो इन दिनों हमसे इक रात जानी / मीर तक़ी ‘मीर’
मिलो इन दिनों हमसे इक रात जानी कहाँ हम, कहाँ तुम, कहाँ फिर जवानी शिकायत करूँ हूँ तो सोने लगे है मेरी सर-गुज़िश्त अब हुई है कहानी अदा खींच सकता है बहज़ाद उस की खींचे सूरत ऐसी तो ये हमने मानी मुलाक़ात होती है तो है कश-म-कश से यही हम से है जब न तब… Continue reading मिलो इन दिनों हमसे इक रात जानी / मीर तक़ी ‘मीर’
मानिंद-ए-शमा मजलिस-ए-शब अश्कबार पाया / मीर तक़ी ‘मीर’
मानिंद-ए-शमा मजलिस-ए-शब अश्कबार पाया अल क़िस्सा ‘मीर’ को हमने बेइख़्तियार पाया शहर-ए-दिल एक मुद्दत उजड़ा बसा ग़मों में आख़िर उजाड़ देना उसका क़रार पाया इतना न दिल से मिलते न दिल को खो के रहते जैसा किया था हमने वैसा ही यार पाया क्या ऐतबार याँ का फिर उस को ख़ार देखा जिसने जहाँ में… Continue reading मानिंद-ए-शमा मजलिस-ए-शब अश्कबार पाया / मीर तक़ी ‘मीर’
काबे में जाँबलब थे हम दूरी-ए-बुताँ से / मीर तक़ी ‘मीर’
काबे में जाँबलब थे हम दूरी-ए-बुताँ से आये हैं फिर के यारों अब के ख़ुदा के याँ से जब कौंधती है बिजली तब जानिब-ए-गुलिस्ताँ रखती है छेड़ मेरे ख़ाशाक-ए-आशियाँ से क्या ख़ूबी उस के मूँह की ए ग़ुन्चा नक़्ल करिये तू तो न बोल ज़ालिम बू आती है वहाँ से ख़ामोशी में ही हम ने… Continue reading काबे में जाँबलब थे हम दूरी-ए-बुताँ से / मीर तक़ी ‘मीर’
जो तू ही सनम हम से बेज़ार होगा / मीर तक़ी ‘मीर’
जो तू ही सनम हम से बेज़ार होगा तो जीना हमें अपना दुशवार होगा ग़म-ए-हिज्र रखेगा बेताब दिल को हमें कुढ़ते-कुढ़ते कुछ आज़ार होगा जो अफ़्रात-ए-उल्फ़त है ऐसा तो आशिक़ कोई दिन में बरसों का बिमार होगा उचटती मुलाक़ात कब तक रहेगी कभू तो तह-ए-दिल से भी यार होगा तुझे देख कर लग गया दिल… Continue reading जो तू ही सनम हम से बेज़ार होगा / मीर तक़ी ‘मीर’
इस अहद में इलाही मोहब्बत को क्या हुआ / मीर तक़ी ‘मीर’
इस अहद में इलाही मोहब्बत् को क्या हुआ छोड़ा वफ़ा को उन्ने मुरव्वत को क्या हुआ उम्मीदवार वादा-ए-दीदार मर चले आते ही आते यारों क़यामत को क्या हुआ बक्शिश ने मुझ को अब्र-ए-करम की किया ख़िजल ए चश्म-ए-जोश अश्क-ए-नदामत को क्या हुआ जाता है यार तेग़ बकफ़ ग़ैर की तरफ़ ए कुश्ता-ए-सितम तेरी ग़ैरत को… Continue reading इस अहद में इलाही मोहब्बत को क्या हुआ / मीर तक़ी ‘मीर’