इस अहद में इलाही मोहब्बत को क्या हुआ / मीर तक़ी ‘मीर’

इस अहद में इलाही मोहब्बत् को क्या हुआ
छोड़ा वफ़ा को उन्ने मुरव्वत को क्या हुआ

उम्मीदवार वादा-ए-दीदार मर चले
आते ही आते यारों क़यामत को क्या हुआ

बक्शिश ने मुझ को अब्र-ए-करम की किया ख़िजल
ए चश्म-ए-जोश अश्क-ए-नदामत को क्या हुआ

जाता है यार तेग़ बकफ़ ग़ैर की तरफ़
ए कुश्ता-ए-सितम तेरी ग़ैरत को क्या हुआ

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *