रची है रतजगो की चांदनी जिन की जबीनों में / क़तील

रची है रतजगो की चाँदनी जिन की जबीनों में “क़तील” एक उम्र गुज़री है हमारी उन हसीनों में वो जिन के आँचलों से ज़िन्दगी तख़लीक होती है धड़कता है हमारा दिल अभी तक उन हसीनों में ज़माना पारसाई की हदों से हम को ले आया मगर हम आज तक रुस्वा हैं अपने हमनशीनों में तलाश… Continue reading रची है रतजगो की चांदनी जिन की जबीनों में / क़तील

प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया ही नहीं / क़तील

प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं बेरुख़ी इससे बड़ी और भला क्या होगी एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने… Continue reading प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया ही नहीं / क़तील

परेशाँ रात सारी है सितारों तुम तो सो जाओ / क़तील

परेशाँ रात सारी है सितारों तुम तो सो जाओ सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारों तुम तो सो जाओ हँसो और हँसते-हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में हमें ये रात भारी है सितारों तुम तो सो जाओ तुम्हें क्या आज भी कोई अगर मिलने नहीं आया ये बाज़ी हमने हारी है सितारों तुम तो सो जाओ कहे जाते… Continue reading परेशाँ रात सारी है सितारों तुम तो सो जाओ / क़तील

पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइये / क़तील

पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइये फिर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाइये पहले मिज़ाज-ए-राहगुज़र जान जाइये फिर गर्द-ए-राह जो भी कहे मान जाइये कुछ कह रही है आपके सीने की धड़कने मेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइये इक धूप सी जमी है निगाहों के आस पास ये आप हैं तो आप… Continue reading पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइये / क़तील

मिल कर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम / क़तील

मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम आँसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम जब दूरियों की आग दिलों को जलायेगी जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम गर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी “क़तील” साहिल पे कश्तियों… Continue reading मिल कर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम / क़तील

मैनें पूछा पहला पत्थर मुझ पर कौन उठायेगा / क़तील

मैनें पूचा पहला पत्थर मुझ पर कौन उठायेगा आई इक आवाज़ कि तू जिसका मोहसिन कहलायेगा पूछ सके तो पूछे कोई रूठ के जाने वालों से रोशनियों को मेरे घर का रस्ता कौन बतायेगा लोगो मेरे साथ चलो तुम जो कुछ है वो आगे है पीछे मुड़ कर देखने वाला पत्थर का हो जायेगा दिन… Continue reading मैनें पूछा पहला पत्थर मुझ पर कौन उठायेगा / क़तील

किया है प्यार जिसे हम ने ज़िंदगी की तरह / क़तील

किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह किसे ख़बर थी बढ़ेगी कुछ और तारीकी छुपेगा वो किसी बदली में चाँदनी की तरह बढ़ा के प्यास मेरी उस ने हाथ छोड़ दिया वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह सितम तो ये है कि वो… Continue reading किया है प्यार जिसे हम ने ज़िंदगी की तरह / क़तील

जो भी ग़ुंचा तेरे होंठों पर खिला करता है / क़तील

जो भी गुंचा तेरे होठों पर खिला करता है वो मेरी तंगी-ए-दामाँ का गिला करता है देर से आज मेरा सर है तेरे ज़ानों पर ये वो रुत्बा है जो शाहों को मिला करता है मैं तो बैठा हूँ दबाये हुये तूफ़ानों को तू मेरे दिल के धड़कने का गिला करता है रात यों चाँद… Continue reading जो भी ग़ुंचा तेरे होंठों पर खिला करता है / क़तील

इक-इक पत्थर जोड़ के मैनें जो दीवार बनाई है / क़तील

इक-इक पत्थर जोड़ के मैंने जो दीवार बनाई है झाँकूँ उसके पीछे तो रुस्वाई ही रुस्वाई है यों लगता है सोते जागते औरों का मोहताज हूँ मैं आँखें मेरी अपनी हैं पर उनमें नींद पराई है देख रहे हैं सब हैरत से नीले-नीले पानी को पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है सब कहते… Continue reading इक-इक पत्थर जोड़ के मैनें जो दीवार बनाई है / क़तील

हिज्र की पहली शाम के साये / क़तील

हिज्र की पहली शाम के साये दूर उफ़क़ तक छाये थे हम जब उसके शहर से निकले सब रास्ते सँवलाये थे जाने वो क्या सोच रहा था अपने दिल में सारी रात प्यार की बातें करते करते उस के नैन भर आये थे मेरे अन्दर चली थी आँधी ठीक उसी दिन पतझड़ की जिस दिन… Continue reading हिज्र की पहली शाम के साये / क़तील