मुझे आई ना जग से लाज / क़तील

मुझे आई ना जग से लाज मैं इतना ज़ोर से नाची आज, के घुंघरू टूट गए कुछ मुझ पे नया जोबन भी था कुछ प्यार का पागलपन भी था कभी पलक पलक मेरी तीर बनी एक जुल्फ मेरी ज़ंजीर बनी लिया दिल साजन का जीत वो छेड़े पायलिया ने गीत, के घुंघरू टूट गए मैं… Continue reading मुझे आई ना जग से लाज / क़तील

हाथ दिया उसने मेरे हाथ में / क़तील

हाथ दिया उसने मेरे हाथ में। मैं तो वली बन गया एक रात मे॥ इश्क़ करोगे तो कमाओगे नाम तोहमतें बटती नहीं खैरात में॥ इश्क़ बुरी शै सही, पर दोस्तो। दख्ल न दो तुम, मेरी हर बात में॥ हाथ में कागज़ की लिए छतरियाँ घर से ना निकला करो बरसात में॥ रत बढ़ाया उसने न… Continue reading हाथ दिया उसने मेरे हाथ में / क़तील

आओ कोई तफरीह का सामान किया जाए / क़तील

आओ कोई तफरीह का सामान किया जाए फिर से किसी वाईज़ को परेशान किया जाए॥ बे-लर्जिश-ए-पा मस्त हो उन आँखो से पी कर यूँ मोह-त-सीबे शहर को हैरान किया जाए॥ हर शह से मुक्क्दस है खयालात का रिश्ता क्यूँ मस्लिहतो पर इसे कुर्बान किया जाए॥ मुफलिस के बदन को भी है चादर की ज़रूरत अब… Continue reading आओ कोई तफरीह का सामान किया जाए / क़तील

बशर के रूप में एक दिलरूबा तलिस्म बनें / क़तील

बशर के रूप में एक दिलरूबा तलिस्म बनें शफफ धूप मिलाए तो उसका ज़िस्म बने॥ वो मगदाद की हद तक पहुँच गया ‘कतील’ रूप कोई भी लिखूँ उसी का ज़िस्म लगे॥ वो शक्स कि मैं जिसे मुहब्बत नहीं करता हँसता है मुझे देख कर नफरत नहीं करता॥ पकड़ा ही गया हूँ तो मुझे तार से… Continue reading बशर के रूप में एक दिलरूबा तलिस्म बनें / क़तील

गम के सहराओ में / क़तील

गम के सहराओ में घंघोर घटा सा भी था वो दिलावर जो कई रोज़ का प्यासा भी था॥ ज़िन्दगी उसने ख़रीदी न उसूलो के एवज़ क्योकि वो शक्स मुहम्मद का निवासा भी था॥ अपने ज़ख्मो का हमें बक्श रहा था वो सवाब उसकी हर आह का अन्दाज़ दुआ-सा भी था॥ सिर्फ तीरो ही कि आती… Continue reading गम के सहराओ में / क़तील

सारी बस्ती में ये जादू / क़तील

सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको जो दरीचा भी खुले तू नज़र आए मुझको॥ सदियों का रस जगा मेरी रातों में आ गया मैं एक हसीन शक्स की बातों में आ गया॥ जब तस्सवुर मेरा चुपके से तुझे छू आए देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए॥ गुस्ताख हवाओं की शिकायत न… Continue reading सारी बस्ती में ये जादू / क़तील