तर्ज़ जीने का सिखाती है मुझे / खलीलुर्रहमान आज़मी

तर्ज़ जीने का सिखाती है मुझे तश्नगी ज़हर पिलाती है मुझे रात भर रहती है किस बात की धुन न जगाती है न सुलाती है मुझे रूठता हूँ जो कभी दुनिया से ज़िन्दगी आके मनाती है मुझे आईना देखूँ तो क्यूँकर देखूँ याद इक शख़्स की आती है मुझे बंद करता हूँ जो आँखें क्या… Continue reading तर्ज़ जीने का सिखाती है मुझे / खलीलुर्रहमान आज़मी

रुख़ में गर्द-ए-मलाल थी क्या थी / खलीलुर्रहमान आज़मी

रुख़ में गर्द-ए-मलाल थी क्या थी हासिल-ए-माह-ओ-साल थी क्या थी एक सूरत सी याद है अब भी आप अपनी मिसाल थी क्या थी मेरे जानिब उठी थी कोई निगाह एक मुबहम सवाल थी क्या थी उस को पाकर भी उस को पा न सका जुस्तजू-ए-जमाल थी क्या थी दिल में थी पर लबों तक आ… Continue reading रुख़ में गर्द-ए-मलाल थी क्या थी / खलीलुर्रहमान आज़मी

जलता नहीं और जल रहा हूँ / खलीलुर्रहमान आज़मी

जलता नहीं और जल रहा हूँ किस आग में मैं पिघल रहा हूँ मफ़लूज हैं हाथ-पाँव मेरे फिर ज़हन में क्यूँ चल रहा हूँ राई का बना के एक पर्वत अब इस पे ख़ुद ही फिसल रहा हूँ किस हाथ से हाथ मैं मिलाऊँ अब अपने ही हाथ मल रहा हूँ क्यों आईना बार बार… Continue reading जलता नहीं और जल रहा हूँ / खलीलुर्रहमान आज़मी

हर-हर साँस नई ख़ुशबू की इक आहट-सी पाता है / खलीलुर्रहमान आज़मी

हर-हर साँस नई ख़ुशबू की इक आहट-सी पाता है इक-इक लम्हा अपने हाथ से जैसे निकला जाता है । दिन ढलने पर नस-नस में जब गर्द-सी जमने लगती है कोई आकर मेरे लहू में फिर मुझको नहलाता है । सारी-सारी रात जले है जो अपनी तन्हाई में उनकी आग में सुब‌ह का सूरज अपना दिया… Continue reading हर-हर साँस नई ख़ुशबू की इक आहट-सी पाता है / खलीलुर्रहमान आज़मी

दिल की रह जाए न दिल में, ये कहानी कह लो / खलीलुर्रहमान आज़मी

दिल की रह जाए न दिल में, ये कहानी कह लो चाहे दो हर्फ़ लिखो, चाहे ज़बानी कह लो । मैंने मरने की दुआ माँगी, वो पूरी न हुई बस, इसी को मेरे मरने की निशानी कह लो । तुमसे कहने की न थी बात मगर कह बैठा बस, इसी को मेरी तबियत की रवानी… Continue reading दिल की रह जाए न दिल में, ये कहानी कह लो / खलीलुर्रहमान आज़मी

वो हुस्न जिसको देख के कुछ भी कहा न जाए / खलीलुर्रहमान आज़मी

वो हुस्न जिसको देख के कुछ भी कहा न जाए दिल की लगी उसी से कहे बिन रहा न जाए । क्या जाने कब से दिल में है अपना बसा हुआ ऐसा नगर कि जिसमें कोई रास्ता न जाए । दामन रफ़ू करो कि बहुत तेज़ है हवा दिल का चिराग़ फिर कोई आकर बुझा… Continue reading वो हुस्न जिसको देख के कुछ भी कहा न जाए / खलीलुर्रहमान आज़मी

कोई तुम जैसा था, ऐसा ही कोई चेहरा था / खलीलुर्रहमान आज़मी

कोई तुम जैसा था, ऐसा ही कोई चेहरा था याद आता है कि इक ख़्वाब कहीं देखा था । रात जब देर तलक चाँद नहीं निकला था मेरी ही तरह से ये साया मेरा तनहा था । जाने क्या सोच के तुमने मेरा दिल फेर दिया मेरे प्यारे, इसी मिट्टी में मेरा सोना था ।… Continue reading कोई तुम जैसा था, ऐसा ही कोई चेहरा था / खलीलुर्रहमान आज़मी

कहूँ ये कैसे के जीने का हौसला देते / खलीलुर्रहमान आज़मी

कहूँ ये कैसे के जीने का हौसला देते मगर ये है कि मुझे गम कोई नया देते शब्-ए-गुज़श्ता बहुत तेज़ चल रही थी हवा सदा तो दी पे कहाँ तक तुझे सदा देते कई ज़माने इसी पेच-ओ-ताब में गुज़रे के आस्मां को तेरे पाँवों पर झुका देते हुई थी हमसे जो लग्जिश तो थाम लेना… Continue reading कहूँ ये कैसे के जीने का हौसला देते / खलीलुर्रहमान आज़मी

तेरी सदा का है सदियों से इन्तेज़ार मुझे / खलीलुर्रहमान आज़मी

तेरी सदा का है सदियों से इंतज़ार मुझे मेरे लहू के समुन्दर जरा पुकार मुझे मैं अपने घर को बुलंदी पे चढ़ के क्या देखूं उरूज-ए-फ़न मेरी दहलीज़ पर उतार मुझे उबलते देखी है सूरज से मैंने तारीकी न रास आएगी ये सुब्ह-ए-ज़रनिगार मुझे कहेगा दिल तो मैं पत्थर के पाँव चूमूंगा ज़माना लाख करे… Continue reading तेरी सदा का है सदियों से इन्तेज़ार मुझे / खलीलुर्रहमान आज़मी

तुझसे बिछड़ के दिल की सदा कू-ब-कू गई / खलीलुर्रहमान आज़मी

तुझसे बिछड़ के दिल की सदा कू-ब-कू गई ले आज दर्द-ए-इश्क की भी आबरू गई वो रतजगे रहे न वो नींदों के काफ़िले वो शाम-ए-मैकदा वो शब्-ए-मुश्कबू गई दुनिया अजब जगह है कहीं जी बहल न जाए तुझसे भी दूर आज तेरी आरज़ू गई कितनी अजीब शै थी मगर ख्वाहिश-ए-विसाल जो तेरी हो के भी… Continue reading तुझसे बिछड़ के दिल की सदा कू-ब-कू गई / खलीलुर्रहमान आज़मी