भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम / साहिर लुधियानवी

भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम| ख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम| कुछ और बड़ गए अंधेरे तो क्या हुआ, मायूस तो नहीं हैं तुलु-ए-[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”शाम”]सहर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] से हम| ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है, क्यूँ देखें ज़िन्दगी को किसी की नज़र से हम| माना कि इस ज़मीं को… Continue reading भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम / साहिर लुधियानवी

मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे / साहिर लुधियानवी

मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ आज दुकान पे नीलाम उठेगा उन का तूने जिन गीतों पे रक्खी थी मुहब्बत की असास आज चाँदी की तराज़ू में तुलेगी हर चीज़ मेरे अफ़कार मेरी शायरी मेरा एहसास [असास=नींव; अफ़कार=लेख] जो तेरी ज़ात से मनसूब थे… Continue reading मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे / साहिर लुधियानवी

ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा / साहिर लुधियानवी

ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा रंगीन तो है बदनाम सही मुझ पर तो कई इल्ज़ाम लगे तुझ पर भी कोई इल्ज़ाम सही इस रात की निखरी रंगत को कुछ और निखर जाने दे ज़रा नज़रों को बहक जाने दे ज़रा ज़ुल्फ़ों को बिखर जाने दे ज़रा कुछ देर की ही तस्कीन सही कुछ देर… Continue reading ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा / साहिर लुधियानवी

उदास न हो / साहिर लुधियानवी

मेरे नदीम मेरे हमसफ़र उदास न हो कठिन सही तेरी मन्जिल मगर उदास न हो कदम कदम पे चट्टानें खडी़ रहें लेकिन जो चल निकले हैं दरिया तो फिर नहीं रुकते हवाएँ कितना भी टकराएँ आँधियाँ बनकर मगर घटाओं के परछम कभी नहीं झुकते मेरे नदीम मेरे हमसफ़र… हर एक तलाश के रास्ते में मुश्किलें… Continue reading उदास न हो / साहिर लुधियानवी

मायूस तो हूं वायदे से तेरे / साहिर लुधियानवी

मायूस तो हूं वायदे से तेरे, कुछ आस नहीं कुछ आस भी है. मैं अपने ख्यालों के सदके, तू पास नहीं और पास भी है. दिल ने तो खुशी माँगी थी मगर, जो तूने दिया अच्छा ही दिया. जिस गम को तअल्लुक हो तुझसे, वह रास नहीं और रास भी है. पलकों पे लरजते अश्कों… Continue reading मायूस तो हूं वायदे से तेरे / साहिर लुधियानवी

मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए / साहिर लुधियानवी

मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए मिरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए ज़मीं सख़्त है आसमाँ दूर है बसर हो सके तो बसर कीजिए सितम के बहुत से हैं रद्द-ए-अमल ज़रूरी नहीं चश्म तर कीजिए वही ज़ुल्म बार-ए-दिगर है तो फिर वही जुर्म बार-ए-दिगर कीजिए क़फ़स तोड़ना बाद की बात है अभी ख़्वाहिश-ए-बाल-ओ-पर कीजिए

परीशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए / इक़बाल

परीशाँ होके मेरी खाक आखिर दिल न बन जाये जो मुश्किल अब हे या रब फिर वही मुश्किल न बन जाये न करदें मुझको मज़बूरे नवा फिरदौस में हूरें मेरा सोज़े दरूं फिर गर्मीए महेफिल न बन जाये कभी छोडी हूई मज़िलभी याद आती है राही को खटक सी है जो सीने में गमें मंज़िल… Continue reading परीशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए / इक़बाल

सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैं / इक़बाल

सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैं हाय क्या अच्छी कही ज़ालिम हूँ मैं जाहिल हूँ मैं है मेरी ज़िल्लत ही कुछ मेरी शराफ़त की दलील जिस की ग़फ़लत को मलक रोते हैं वो ग़ाफ़िल हूँ मैं बज़्म-ए-हस्ती अपनी आराइश पे तू नाज़ाँ न हो तू तो इक तस्वीर है महफ़िल की… Continue reading सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैं / इक़बाल

अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा / इक़बाल

अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा मुझे फ़िक्र-ए-जहाँ क्यूँ हो जहाँ तेरा है या मेरा अगर हँगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली ख़ता किस की है या रब ला-मकाँ तेरा है या मेरा उसे सुब्ह-ए-अज़ल इंकार की जुरअत हुई क्यूँकर मुझे मालूम क्या वो राज़-दाँ तेरा है या मेरा मोहम्मद भी तेरा जिब्रील… Continue reading अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा / इक़बाल

जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी / इक़बाल

उट्ठो मेरी दुनिया के ग़रीबों को जगा दो ख़ाक-ए-उमरा के दर-ओ-दीवार हिला दो गरमाओ ग़ुलामों का लहू सोज़-ए-यक़ीं से कुन्जिश्क-ए-फिरोमाया को शाहीं से लड़ा दो सुल्तानी-ए-जमहूर का आता है ज़माना जो नक़्श-ए-कुहन तुम को नज़र आये मिटा दो जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी उस ख़ेत के हर ख़ोशा-ए-गुन्दम को जला दो क्यों… Continue reading जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी / इक़बाल