मेरी नज़रों ने वायदा किया है मेरी रूह से कि सनम तेरे सिवा कुछ ना देखेंगी तू ये जानता है ना कि मेरी रूह तू है? मैं शायद खुदा की बनायी पहली और अकेली औरत हूँ जो अपने जिस्म के टुकड़े से ज्यादा प्यार अपने आदमी से करती है क्योंकि जिस्म के सब टुकड़े भी… Continue reading मेरी रूह – मेरा वादा / अंजना भट्ट
Category: Hindi-Urdu Poets
करवाचौथ का त्यौहार / अंजना भट्ट
दुल्हन का सिंगार और किसी की आँखों में बसने का विचार पूरा ही ना हो पाया… और इस दिलो-जान से प्यारे दिन की वीरानी मेरे रग रग में एक ठंडे लोहे की तरह उतर गयी. मुझे भी विकल करती है उन कंगनों की झंकार जिनसे मैंने अपनी उदास बाहें नहीं सजाई. मुझे भी सताती हैं… Continue reading करवाचौथ का त्यौहार / अंजना भट्ट
माँ…क्या एक बार फिर मिलोगी? / अंजना भट्ट
तिनका तिनका जोड़ा तुमने, अपना घर बनाया तुमने अपने तन के सुन्दर पौधे पर हम बच्चों को फूल सा सजाया तुमने हमारे सब दुःख उठाये और हमारी खुशियों में सुख ढूँढा तुमने हमारे लिए लोरियां गाईं और हमारे सपनों में खुद के सपने सजाये तुमने. हम बच्चे अपनी अपनी राह चलते गये, और तुम? तुम… Continue reading माँ…क्या एक बार फिर मिलोगी? / अंजना भट्ट
मेरे बच्चे, मेरे प्यारे / अंजना भट्ट
मेरे बच्चे, मेरे प्यारे, तू मेरे जिस्म पर उगा हुआ इक प्यारा सा नन्हा फूल… क्या है तेरा मुझसे रिश्ता? बस….एक लाल धागे का… टूटने पर भी उतना ही सच्चा, उतना ही पक्का जितना परमात्मा से आत्मा का रिश्ता. तेरी मुस्कुराहटों से जागता है मेरी सुबहों का लाल सूरज. तेरी संतुष्टी में ढलता है मेरी… Continue reading मेरे बच्चे, मेरे प्यारे / अंजना भट्ट
समुन्दर / अंजना भट्ट
नीले समुन्दर का साया आँखों में भर के तेरी प्यारी आँखों के समुन्दर में डूबने को जी चाहता है मचलती लहरों की मस्ती दिल में भरके तेरी बाँहों के झूले में झूलने को जी चाहता है समुन्दर का खारा पानी मूहँ में भरके तेरे होठों के अमृत की मिठास चखने को जी चाहता है आ… Continue reading समुन्दर / अंजना भट्ट
कोहरा / अंजना भट्ट
हर तरफ छाया है कोहरा…आँखें हैं कुछ मजबूर धुंधली सी बादल की एक चादर है कुछ नहीं आता नज़र दूर दूर… बस कुछ थोड़ी सी रोशनी और उसके पर सब कुछ खोया खोया सा… मगर इस कोहरे के पार भी है कुछ…दिख रहा जाना पहचाना सा. हाँ…तेरा चेहरा है… प्यार बरसाता, मुस्कुराता सा, आँखों में… Continue reading कोहरा / अंजना भट्ट
प्यास / अंजना भट्ट
इस कदर छाई है दिल और दिमाग पर तेरी याद की आंधी इस तूफ़ान में उड़ कर भी तेरे पास क्यों नहीं आ पाती? इस कदर छाई है तन बदन पर तुझसे मिलने की प्यास इस प्यास में तड़प कर भी तुझमें खो क्यों नहीं पाती? बस आ…कि अब तुझ बिन कोई भी मुझे संभाल… Continue reading प्यास / अंजना भट्ट
धरती और आसमान / अंजना भट्ट
मैं? मैं हूँ एक प्यारी सी धरती कभी परिपूर्णता से तृप्त और कभी प्यासी आकाँक्षाओं में तपती. और तुम? तुम हो एक अंतहीन आसमान संभावनों से भरपूर और ऊंची तुम्हारी उड़ान कभी बरसाते हो अंतहीन स्नेह और कभी….. सिर्फ धूप……ना छांह और ना मेंह. जब जब बरसता है मुझ पर तुम्हारा प्रेम और तुम्हारी कामनाओं… Continue reading धरती और आसमान / अंजना भट्ट
ज़लील हो के तो जन्नत से मैं नहीं आया / दिलावर ‘फ़िगार’
ज़लील हो के तो जन्नत से मैं नहीं आया ख़ुदा ने भेजा है ज़िल्लत से मैं नहीं आया मैं उस इलाक़ा से आया हूँ है जो मर्दुम-ख़ेज़ दिलाई लामा के तिब्बत से मैं नहीं आया मुशाइरे में सुनूँ कैसे सुब्ह तक ग़ज़लें के घर को छोड़ के फ़ुर्सत से मैं नहीं आया इक अस्पताल में… Continue reading ज़लील हो के तो जन्नत से मैं नहीं आया / दिलावर ‘फ़िगार’
ज़हर बीमार को मुर्दे को दवा दी जाए / दिलावर ‘फ़िगार’
ज़हर बीमार को मुर्दे को दवा दी जाए है यही रस्म तो ये रस्म उठा दी जाए वस्ल की रात जो महबूब कहे गुड नाईट क़ाइदा ये है के इंग्लिश में दुआ दी जाए आज जलसे हैं बहुत शर में लीडर कम हैं एहतियातन मुझे तक़रीर रटा दी जाए मार खाने से मुझे आर नहीं… Continue reading ज़हर बीमार को मुर्दे को दवा दी जाए / दिलावर ‘फ़िगार’