आरजू, बंसी-एक साल ! निशा, अमनदीप, गुड्डी-दो साल ! मीरा, एकता, मरियम-तीन साल ! रेशमा, भावना, नवनीत- चार साल ! गोलू, गिरधर, बॉबी-पांच साल ! अवनीत कौर, हुमायूं-छ: साल ! राखी, विक्टर, सुचित्रा-सात साल ! अंकित, दीपक, रेहाना-आठ साल ! नौ साल के हीबा और विवेक ! और भी अनेकानेक…. डबवाली के बच्चो ! सूम… Continue reading डबवाली शिशुओं के नाम / अशोक चक्रधर
Category: Ashok Chakradhar
पोपला बच्चा / अशोक चक्रधर
बच्चा देखता है कि मां उसको हंसाने की कोशिश कर रही है। भरपूर कर रही है, पुरज़ोर कर रही है, गुलगुली बदन में हर ओर कर रही है। मां की नादानी को ग़ौर से देखता है बच्चा, फिर कृपापूर्वक अचानक… अपने पोपले मुंह से फट से हंस देता है। सोचता है ख़ूब फंसी मां भी… Continue reading पोपला बच्चा / अशोक चक्रधर
आपकी नाकामयाबी / अशोक चक्रधर
नन्हा बच्चा जिस भी उंगली को पकड़े कस लेता है, और अपनी पकड़ की मज़बूती का रस लेता है। आप कोशिश करिए अपनी उंगली छुड़ाने की। नहीं छुड़ा पाए न ! वो आपकी नाकामयाबी पर हंस लेता है। और पकड़ की मज़बूती का भरपूर रस लेता है।
बढ़ता हुआ बच्चा / अशोक चक्रधर
मैग्ज़ीन पढ़ रही है मां बच्चा सो रहा है, बच्चे के हाथ में भी एक किताब है पढे़ कैसे वह तो सो रहा है। हिचकियां ले रहा है और बड़ा हो रहा है। बढ़ता हुआ बच्चा जब और और बढ़ेगा, तो मां से भी ज़्यादा किताबें पढ़ेगा। मज़ा तो तब आएगा, जब वो किसी अनपढ़… Continue reading बढ़ता हुआ बच्चा / अशोक चक्रधर
इच्छा-शक्ति / अशोक चक्रधर
ओ ठोकर ! तू सोच रही मैं बैठ जाऊंगी रोकर, भ्रम है तेरा चल दूंगी मैं फ़ौरन तत्पर होकर। ओ पहाड़! कितना भी टूटे हंस ले खेल बिगाड़, मैं भी मैं हूं नहीं समझ लेना मुझको खिलवाड़। ओ बिजली ! तूने सोचा यूं मर जाएगी तितली, बगिया जल जाएगी तितली रह जाएगी इकली। कुछ भी… Continue reading इच्छा-शक्ति / अशोक चक्रधर
बात / अशोक चक्रधर
बात होनी चाहिए सारगर्भित और छोटी ! जैसे कि पहलवान की लंगोटी।
वर्ग-विभाजन / अशोक चक्रधर
दुनिया में लोग होते हैं दो तरह के- पहले वे जो जीवन जीते हैं पसीना बहा के ! दूसरे वे जो पहले वालों का बेचते हैं- रूमाल, शीतल पेय, पंखे और…. ठहाके।
बौड़म जी बस में / अशोक चक्रधर
बस में थी भीड़ और धक्के ही धक्के, यात्री थे अनुभवी, और पक्के । पर अपने बौड़म जी तो अंग्रेज़ी में सफ़र कर रहे थे, धक्कों में विचर रहे थे । भीड़ कभी आगे ठेले, कभी पीछे धकेले । इस रेलमपेल और ठेलमठेल में, आगे आ गए धकापेल में । और जैसे ही स्टाप पर… Continue reading बौड़म जी बस में / अशोक चक्रधर
आम की पेटी / अशोक चक्रधर
गांव में ब्याही गई थी बौड़म जी की बेटी, उसने भिजवाई एक आम की पेटी। महक पूरे मुहल्ले को आ गई, कइयों का तो दिल ही जला गई। कुछ पड़ौसियों ने द्वार खटखटाया एक स्वर आया- बौड़म जी, हमें मालूम है कि आप आम ख़रीद कर नहीं लाते हैं, और ये भी पता है कि… Continue reading आम की पेटी / अशोक चक्रधर
तेरा इस्तेकबाल है / अशोक चक्रधर
कि हमारी आज़ादी भी पचास की पूरी होने आई। उसका भी लगभग यही हाल है अपने ऊपर मुग्ध है निहाल है ऊपरी वैभव का इंद्रजाल है पुरानी ख़ुशबुओं का रुमाल है समय के ग्राउंड की फुटबाल है एक तरफ चिकनी तो दूसरी तरफ रेगमाल है संक्रमण के कण कण में वाचाल है फिर भी खुशहाल… Continue reading तेरा इस्तेकबाल है / अशोक चक्रधर