मेमने ने देखे जब गैया के आंसू / अशोक चक्रधर

(खेल में मग्न बच्चों को घर की सुध नहीं रहती) माता पिता से मिला जब उसको प्रेम ना, तो बाड़े से भाग लिया नन्हा सा मेमना। बिना रुके बढ़ता गया, बढ़ता गया भू पर, पहाड़ पर चढ़ता गया, चढ़ता गया ऊपर। बहुत दूर जाके दिखा, उसे एक बछड़ा, बछड़ा भी अकड़ गया, मेमना भी अकड़ा।… Continue reading मेमने ने देखे जब गैया के आंसू / अशोक चक्रधर

आलपिन कांड / अशोक चक्रधर

बंधुओ, उस बढ़ई ने चक्कू तो ख़ैर नहीं लगाया पर आलपिनें लगाने से बाज़ नहीं आया। ऊपर चिकनी-चिकनी रैक्सीन अंदर ढेर सारे आलपीन। तैयार कुर्सी नेताजी से पहले दफ़्तर में आ गई, नेताजी आए तो देखते ही भा गई। और, बैठने से पहले एक ठसक, एक शान के साथ मुस्कान बिखेरते हुए उन्होंने टोपी संभालकर… Continue reading आलपिन कांड / अशोक चक्रधर

हम तो करेंगे / अशोक चक्रधर

हम तो करेंगे गुनह करेंगे पुनह करेंगे। वजह नहीं बेवजह करेंगे। कल से ही लो कलह करेंगे। जज़्बातों को जिबह करेंगे निर्लज्जों से निबह करेंगे सुलगाने को सुलह करेंगे। हम ज़ालिम क्यों जिरह करेंगे संबंधों में गिरह करेंगे रस विशेष में विरह करेंगे जो हो, अपनी तरह करेंगे रात में चूके सुबह करेंगे गुनह करेंगे… Continue reading हम तो करेंगे / अशोक चक्रधर

जंगल गाथा / अशोक चक्रधर

1. एक नन्हा मेमना और उसकी माँ बकरी, जा रहे थे जंगल में राह थी संकरी। अचानक सामने से आ गया एक शेर, लेकिन अब तो हो चुकी थी बहुत देर। भागने का नहीं था कोई भी रास्ता, बकरी और मेमने की हालत खस्ता। उधर शेर के कदम धरती नापें, इधर ये दोनों थर-थर कापें।… Continue reading जंगल गाथा / अशोक चक्रधर

पोल-खोलक यंत्र / अशोक चक्रधर

ठोकर खाकर हमने जैसे ही यंत्र को उठाया, मस्तक में शूं-शूं की ध्वनि हुई कुछ घरघराया। झटके से गरदन घुमाई, पत्नी को देखा अब यंत्र से पत्नी की आवाज़ आई- मैं तो भर पाई! सड़क पर चलने तक का तरीक़ा नहीं आता, कोई भी मैनर या सली़क़ा नहीं आता। बीवी साथ है यह तक भूल… Continue reading पोल-खोलक यंत्र / अशोक चक्रधर

तुम से आप / अशोक चक्रधर

तुम भी जल थे हम भी जल थे इतने घुले-मिले थे कि एक दूसरे से जलते न थे। न तुम खल थे न हम खल थे इतने खुले-खुले थे कि एक दूसरे को खलते न थे। अचानक हम तुम्हें खलने लगे, तो तुम हमसे जलने लगे। तुम जल से भाप हो गए और ‘तुम’ से… Continue reading तुम से आप / अशोक चक्रधर

कम से कम / अशोक चक्रधर

एक घुटे हुए नेता ने छंटे हुए शब्दों में भावुक तकरीर दी, भीड़ भावनाओं से चीर दी। फिर मानव कल्याण के लिए दिल खोल दान के लिए अपनी टोपी घुमवाई, पर अफ़सोस कि खाली लौट आई। टोपी को देखकर नेता जी बोले-अपमान जो होना है सो हो ले। पर धन्यवाद, आपकी इस प्रतिक्रिया से प्रसन्नता… Continue reading कम से कम / अशोक चक्रधर

कौन है ये जैनी? / अशोक चक्रधर

बीवी की नज़र थी बड़ी पैनी- क्यों जी, कौन है ये जैनी? सहज उत्तर था मियाँ का- जैनी, जैनी नाम है एक कुतिया का। तुम चाहती थीं न एक डौगी हो घर में, इसलिए दोस्तों से पूछता रहता था अक्सर मैं। पिछले दिनों एक दोस्त ने जैनी के बारे में बताया था। पत्नी बोली-अच्छा! तो… Continue reading कौन है ये जैनी? / अशोक चक्रधर

तो क्या यहीं? / अशोक चक्रधर

तलब होती है बावली, क्योंकि रहती है उतावली। बौड़म जी ने सिगरेट ख़रीदी एक जनरल स्टोर से, और फ़ौरन लगा ली मुँह के छोर से। ख़ुशी में गुनगुनाने लगे, और वहीं सुलगाने लगे। दुकानदार ने टोका, सिगरेट जलाने से रोका- श्रीमान जी!मेहरबानी कीजिए, पीनी है तो बाहर पीजिए। बौड़म जी बोले-कमाल है, ये तो बड़ा… Continue reading तो क्या यहीं? / अशोक चक्रधर

नया आदमी / अशोक चक्रधर

डॉक्टर बोला- दूसरों की तरह क्यों नहीं जीते हो, इतनी क्यों पीते हो? वे बोले- मैं तो दूसरों से भी अच्छी तरह जीता हूँ, सिर्फ़ एक पैग पीता हूँ। एक पैग लेते ही मैं नया आदमी हो जाता हूँ, फिर बाकी सारी बोतल उस नए आदमी को ही पिलाता हूँ।