हस्ती के शजर में जो यह चाहो कि चमक जाओ / अकबर इलाहाबादी

हस्ती के शज़र में जो यह चाहो कि चमक जाओ कच्चे न रहो बल्कि किसी रंग मे पक जाओ मैंने कहा कायल मै तसव्वुफ का नहीं हूँ कहने लगे इस बज़्म मे जाओ तो थिरक जाओ मैंने कहा कुछ खौफ कलेक्टर का नहीं है कहने लगे आ जाएँ अभी वह तो दुबक जाओ मैंने कहा… Continue reading हस्ती के शजर में जो यह चाहो कि चमक जाओ / अकबर इलाहाबादी

बिठाई जाएंगी पर्दे में बीबियाँ कब तक / अकबर इलाहाबादी

बिठाई जाएंगी परदे में बीबियाँ कब तक बने रहोगे तुम इस मुल्क में मियाँ कब तक [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”भवन का वह भाग जहाँ स्त्रियाँ रहती हैं;”]हरम-सरा[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] की हिफ़ाज़त को [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”तलवार”]तेग़[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  ही न रही तो काम देंगी यह चिलमन की तितलियाँ कब तक मियाँ से बीबी हैं, परदा है उनको फ़र्ज़ मगर मियाँ का इल्म ही उट्ठा… Continue reading बिठाई जाएंगी पर्दे में बीबियाँ कब तक / अकबर इलाहाबादी

हिन्द में तो मज़हबी हालत है अब नागुफ़्ता बेह / अकबर इलाहाबादी

हिन्द में तो मज़हबी हालत है अब [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”जिसका ना कहना ही बेहतर हो”]नागुफ़्ता बेह[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] मौलवी की मौलवी से [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”जान-पहचान”]रूबकारी[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] हो गई एक डिनर में खा गया इतना कि तन से निकली जान ख़िदमते-क़ौमी में बारे [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”जान क़ुर्बान करना”]जाँनिसारी[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] हो गई अपने [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”तबीयत की आवारागर्दी”]सैलाने-तबीयत[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] पर जो की मैंने नज़र आप ही… Continue reading हिन्द में तो मज़हबी हालत है अब नागुफ़्ता बेह / अकबर इलाहाबादी

आपसे बेहद मुहब्बत है मुझे / अकबर इलाहाबादी

आपसे बेहद मुहब्बत है मुझे आप क्यों चुप हैं ये हैरत है मुझे शायरी मेरे लिए आसाँ नहीं झूठ से वल्लाह नफ़रत है मुझे [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”शराब पीने का दिन”]रोज़े-रिन्दी[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] है [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”दूसरों की क़िस्मत में”]नसीबे-दीगराँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] शायरी की सिर्फ़ [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”ताक़त”]क़ूवत[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  है मुझे नग़मये-योरप से मैं वाक़िफ़ नहीं देस ही की याद है बस गत मुझे… Continue reading आपसे बेहद मुहब्बत है मुझे / अकबर इलाहाबादी

ख़ुशी है सब को कि आप्रेशन में ख़ूब नश्तर चल रहा है / अकबर इलाहाबादी

ख़ुशी है सब को कि आप्रेशन में ख़ूब [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”चाकू, काँटा”]नश्तर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  चल रहा है किसी को इसकी ख़बर नहीं है मरीज़ का दम निकल रहा है [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”लुप्त हो जाना”]फ़ना[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] उसी रंग पर है क़ायम, फ़लक वही चाल चल रहा है [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”टूटा हुआ और बिखरा हुआ”]शिकस्ता-ओ-मुन्तशिर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  है वह कल, जो आज साँचे में ढल… Continue reading ख़ुशी है सब को कि आप्रेशन में ख़ूब नश्तर चल रहा है / अकबर इलाहाबादी

जान ही लेने की हिकमत में तरक़्क़ी देखी / अकबर इलाहाबादी

जान ही लेने की [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”विधि”]हिकमत[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  में तरक़्क़ी देखी मौत का रोकने वाला कोई पैदा न हुआ उसकी बेटी ने उठा रक्खी है दुनिया सर पर ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ ज़ब्त से काम लिया दिल ने तो क्या फ़ख़्र करूँ इसमें क्या इश्क की इज़्ज़त थी कि रुसवा न हुआ मुझको… Continue reading जान ही लेने की हिकमत में तरक़्क़ी देखी / अकबर इलाहाबादी

दम लबों पर था दिलेज़ार के घबराने से / अकबर इलाहाबादी

दम लबों पर था दिलेज़ार के घबराने से आ गई है जाँ में जाँ आपके आ जाने से तेरा कूचा न छूटेगा तेरे दीवाने से उस को काबे से न मतलब है न बुतख़ाने से शेख़ [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”नासमझ”]नाफ़ह्म[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  हैं करते जो नहीं [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”इज़्ज़त”]क़द्र[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  उसकी दिल फ़रिश्तों के मिले हैं तेरे दीवानों से मैं जो… Continue reading दम लबों पर था दिलेज़ार के घबराने से / अकबर इलाहाबादी

शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा / अकबर इलाहाबादी

शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा दिल में घर करके मेरी जान ये परदा कैसा आप मौजूद हैं हाज़िर है ये सामान-ए-निशात उज़्र सब तै हैं बस अब वादा-ए-फ़रदा कैसा तेरी आँखों की जो तारीफ़ सुनी है मुझसे घूरती है मुझे ये नर्गिस-ए-शेहला कैसा ऐ मसीहा यूँ ही करते हैं मरीज़ों का… Continue reading शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा / अकबर इलाहाबादी

कट गई झगड़े में सारी रात वस्ल-ए-यार की / अकबर इलाहाबादी

कट गई झगड़े में सारी रात वस्ल-ए-यार की शाम को बोसा लिया था, सुबह तक तक़रार की ज़िन्दगी मुमकिन नहीं अब आशिक़-ए-बीमार की छिद गई हैं बरछियाँ दिल में निगाह-ए-यार की हम जो कहते थे न जाना बज़्म में [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”ग़ैर”]अग़यार[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  की देख लो नीची निगाहें हो गईं सरकार की ज़हर देता है तो दे,… Continue reading कट गई झगड़े में सारी रात वस्ल-ए-यार की / अकबर इलाहाबादी

किस किस अदा से तूने जलवा दिखा के मारा / अकबर इलाहाबादी

किस-किस अदा से तूने जलवा दिखा के मारा आज़ाद हो चुके थे, बन्दा बना के मारा [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पहले”]अव्वल[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  बना के पुतला, पुतले में जान डाली फिर उसको ख़ुद [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”मौत”]क़ज़ा[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  की सूरत में आके मारा आँखों में तेरी ज़ालिम छुरियाँ छुपी हुई हैं देखा जिधर को तूने पलकें उठाके मारा ग़ुंचों में आके महका, बुलबुल… Continue reading किस किस अदा से तूने जलवा दिखा के मारा / अकबर इलाहाबादी