कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल है / अकबर इलाहाबादी

कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्क़िल है । यहाँ परियों का मजमा है, वहाँ हूरों की महफ़िल है । इलाही कैसी-कैसी सूरतें तूने बनाई हैं, हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है। ये दिल लेते ही शीशे की तरह पत्थर पे दे मारा, मैं कहता रह गया ज़ालिम मेरा दिल… Continue reading कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल है / अकबर इलाहाबादी

फिर गई आप की दो दिन में तबीयत कैसी / अकबर इलाहाबादी

फिर गई आप की दो दिन में तबीयत कैसी ये वफ़ा कैसी थी साहब ! ये मुरव्वत कैसी दोस्त अहबाब से हंस बोल के कट जायेगी रात रिंद-ए-आज़ाद हैं, हमको शब-ए-फुरक़त कैसी जिस हसीं से हुई उल्फ़त वही माशूक़ अपना इश्क़ किस चीज़ को कहते हैं, तबीयत कैसी है जो किस्मत में वही होगा न कुछ… Continue reading फिर गई आप की दो दिन में तबीयत कैसी / अकबर इलाहाबादी

जो यूं ही लहज़ा लहज़ा दाग़-ए-हसरत की तरक़्क़ी है / अकबर इलाहाबादी

जो यूं ही लहज़ा-लहज़ा दाग़-ए-हसरत की तरक़्क़ी है अजब क्या, रफ्ता-रफ्ता मैं सरापा सूरत-ए-दिल हूँ मदद-ऐ-रहनुमा-ए-गुमरहां इस दश्त-ए-गु़र्बत में मुसाफ़िर हूँ, परीशाँ हाल हूँ, गु़मकर्दा मंज़िल हूँ ये मेरे सामने शेख-ओ-बरहमन क्या झगड़ते हैं अगर मुझ से कोई पूछे, कहूँ दोनों का क़ायल हूँ अगर दावा-ए-यक रंगीं करूं, नाख़ुश न हो जाना मैं इस आईनाखा़ने… Continue reading जो यूं ही लहज़ा लहज़ा दाग़-ए-हसरत की तरक़्क़ी है / अकबर इलाहाबादी

अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी

ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते सच है कि हम ही दिल को संभलने नहीं देते आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते किस नाज़ से कहते हैं वो झुंझला के [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”मिलन की रात”]शब-ए-वस्ल[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते परवानों ने… Continue reading अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी

एक बूढ़ा नहीफ़-ओ-खस्ता दराज़ / अकबर इलाहाबादी

एक बूढ़ा नहीफ़-ओ-खस्ता दराज़ इक ज़रूरत से जाता था बाज़ार ज़ोफ-ए-पीरी से खम हुई थी कमर राह बेचारा चलता था रुक कर चन्द लड़कों को उस पे आई हँसी क़द पे फबती कमान की सूझी कहा इक लड़के ने ये उससे कि बोल तूने कितने में ली कमान ये मोल पीर मर्द-ए-लतीफ़-ओ-दानिश मन्द हँस के… Continue reading एक बूढ़ा नहीफ़-ओ-खस्ता दराज़ / अकबर इलाहाबादी

उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है / अकबर इलाहाबादी

उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है और गाने की आदत भी निकलती हैं दुआऐं उनके मुंह से ठुमरियाँ होकर तअल्लुक़ आशिक़-ओ-माशूक़ का तो लुत्फ़ रखता था मज़े अब वो कहाँ बाक़ी रहे बीबी मियाँ होकर न थी मुतलक़ तव्क़्क़ो बिल बनाकर पेश कर दोगे मेरी जाँ लुट गया मैं तो तुम्हारा मेहमाँ होकर हक़ीक़त में मैं एक… Continue reading उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है / अकबर इलाहाबादी

पिंजरे में मुनिया / अकबर इलाहाबादी

मुंशी कि क्लर्क या ज़मींदार लाज़िम है कलेक्टरी का दीदार हंगामा ये वोट का फ़क़त है मतलूब हरेक से दस्तख़त है हर सिम्त मची हुई है हलचल हर दर पे शोर है कि चल-चल टमटम हों कि गाड़ियां कि मोटर जिस पर देको, लदे हैं वोटर शाही वो है या पयंबरी है आखिर क्या शै… Continue reading पिंजरे में मुनिया / अकबर इलाहाबादी

आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी

आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते सच है कि हमीं दिल को संभलने नहीं देते किस नाज़ से कहते हैं वो झुंझला के शब-ए-वस्ल तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते परवानों ने फ़ानूस को देखा तो… Continue reading आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी

समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का / अकबर इलाहाबादी

समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का ‘अकबर’ ये ग़ज़ल मेरी है अफ़साना किसी का गर [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”धर्मोपदेशक”]शैख़-ओ-बहरमन[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  सुनें अफ़साना किसी का [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पूजा का स्थान”]माबद[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]   न रहे [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”काबा और मंदिर”]काबा-ओ-बुतख़ाना[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  किसी का अल्लाह ने दी है जो तुम्हे चाँद-सी सूरत रौशन भी करो जाके [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”अँधेरे भरा कमरा”]सियहख़ाना[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  किसी का अश्क आँखों… Continue reading समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का / अकबर इलाहाबादी

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ / अकबर इलाहाबादी

दुनिया में हूँ दुनिया का [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”इच्छुक, चाहने वाला”]तलबगार[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  नहीं हूँ बाज़ार से गुज़रा हूँ, ख़रीददार नहीं हूँ ज़िन्दा हूँ मगर [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”जीवन”]ज़ीस्त[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  की [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”स्वाद”]लज़्ज़त[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]   नहीं बाक़ी हर चंद कि हूँ होश में, होशियार नहीं हूँ इस [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”अस्तित्व का घर”]ख़ाना-ए-हस्त[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] से गुज़र जाऊँगा [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”लांछन के बिना”]बेलौस[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] साया हूँ [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”केवल”]फ़क़्त[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] , [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip… Continue reading दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ / अकबर इलाहाबादी