दम लबों पर था दिलेज़ार के घबराने से / अकबर इलाहाबादी

दम लबों पर था दिलेज़ार के घबराने से
आ गई है जाँ में जाँ आपके आ जाने से

तेरा कूचा न छूटेगा तेरे दीवाने से
उस को काबे से न मतलब है न बुतख़ाने से

शेख़ [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”नासमझ”]नाफ़ह्म[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  हैं करते जो नहीं [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”इज़्ज़त”]क़द्र[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  उसकी
दिल फ़रिश्तों के मिले हैं तेरे दीवानों से

मैं जो कहता हूँ कि मरता हूँ तो फ़रमाते हैं
कारे-दुनिया न रुकेगा तेरे मर जाने से

कौन हमदर्द किसी का है जहाँ में ‘अक़बर’
इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *