बारिश में पिट रही स्त्री / अग्निशेखर

तेज़ बारिश
और आधी रात में
मेरा पड़ोसी अपनी पत्नी को पीट रहा है
जैसे स्वतत्रता-संग्राम का
कोई दृश्य हो थाने में सत्याग्रही

बारिश में पीट रहा है
मेरा पड़ोसी अपनी पत्नी को
नि:शब्द है स्त्री
संकोच और लज्जा के साथ

कौन नहीं जानता
आँसुओं की दुनिया में
चेहरे पर हँसी
स्त्री के ईजाद है
मेरी खिड़की के काँच से
बज रही है बारिश
स्त्री के आकाश से
बरस रहे है आंसू
बहुत पहले कहा था
आंद्रे वोज्नेसेन्सकी ने :

कोई एक स्त्री को पीट रहा है
कार में, जिसमें
एकदम अँधेरा और गर्मी है

क्या फ़र्क पड़ता है
ओ मेरे प्रिय कवि
स्त्री मेरे पड़ोस में पिटे
या रूस में
वह पिट रही है
ज़रूरी समर्थन के अभाव में
एक विधेयक की तरह

इसीलिये वह हँसती है
रंगीन पत्रिकाओं में
धूप में उसका चेहरा चमकता है
रात में आँसू

बारिश मेरे कमरे में आ रही है
मै पीट रहा हूँ
अपना माथा
तेज़ बारिश और आधी रात में

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