जिस्म जो चाहता है, उससे जुदा लगती हो
सीनरी हो मगर आँखों को सदा लगती हो
सर पे आ जाये तो भर जाए धुंआ साँसों में
दूर से देखते रहिये तो घटा लगती हो
ऐसी तलवार अँधेरे में चलाई जाए
कि कहीं चाहते हों, और कहीं लगती हो
जिस्म जो चाहता है, उससे जुदा लगती हो
सीनरी हो मगर आँखों को सदा लगती हो
सर पे आ जाये तो भर जाए धुंआ साँसों में
दूर से देखते रहिये तो घटा लगती हो
ऐसी तलवार अँधेरे में चलाई जाए
कि कहीं चाहते हों, और कहीं लगती हो