अन्धेरों का गीत / उज्जवला ज्योति तिग्गा

मूक बाँसुरी गाती है
मन ही मन
अन्धेरों के गीत
मूक बाँसुरी में बसता है
सोई हुई उम्मीदों
और खोए हुए सपनों का
भुतहा संगीत
देखती है मूक बाँसुरी भी
सपने, घने अन्धेरे जंगल में
रोशनी की झमझम बारिश का
मूक बाँसुरी में क़ैद है
अन्धेरे का अनसुना संगीत

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