यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया / हैदर अली ‘आतिश’

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया रात भर ताला-ए-बेदार ने सोने न दिया ख़ाक पर संग-ए-दर-ए-यार ने सोने न दिया धूप में साया-ए-दीवार ने सोने न दिया शाम से वस्ल की शब आँख न झपकी ता सुब्ह शादी-ए-दौलत-ए-दीदार ने सोने न दिया एक शब बुलबुल-ए-बे-ताब के जागे न नसीब पहलु-ए-गुल में… Continue reading यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया / हैदर अली ‘आतिश’