निगाहों में ख़ुमार आता हुआ महसूस होता है तसव्वुर जाम छलकाता हुआ महसूस होता है [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”इठलाती हुई चाल”]ख़िरामे- नाज़[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] -और उनका ख़िरामे-नाज़ क्या कहना ज़माना ठोकरें खाता हुआ महसूस होता है ये एहसासे-जवानी को छुपाने की हसीं कोशिश कोई अपने से शर्माता हुआ महसूस होता है [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”कल्पना”]तसव्वुर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] एक ज़ेहनी [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”अन्तर्मन की इच्छा”]जुस्तजू[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]… Continue reading निगाहों में ख़ुमार आता हुआ महसूस होता है / क़तील
Tag: शायरी
शम्मअ़-ए-अन्जुमन / क़तील
मैं ज़िन्दगी की हर-इक साँस को टटोल चुकी मैं लाख बार मुहब्बत के भेद खोल चुकी मैं अपने आपको तनहाइयों में तोल चुकी मैं जल्वतों में सितारों के बोल बोल चुकी -मगर कोई भी न माना वफा़ के दाम बिछाए गए क़रीने से मगर किसी ने भी रोका न मुझको जीने से किसी ने जाम… Continue reading शम्मअ़-ए-अन्जुमन / क़तील
काम आ गई दीवानगी अपनी / क़तील
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते जो वाबस्ता हुए, तुमसे, वो अफ़साने कहाँ जाते निकलकर दैरो-काबा से अगर मिलता न मैख़ाना तो ठुकराए हुए इंसाँ खुदा जाने कहाँ जाते तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाखाने की तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी… Continue reading काम आ गई दीवानगी अपनी / क़तील
ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं / क़तील
ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा तू मिला है तो ये एहसास हुआ है मुझको ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिये थोड़ी है इक ज़रा सा ग़म-ए-दौराँ का भी हक़ है जिस पर मैनें वो साँस भी तेरे लिये रख छोड़ी है तुझपे हो… Continue reading ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं / क़तील
यूँ चुप रहना ठीक नहीं कोई मीठी बात करो / क़तील
यूँ चुप रहना ठीक नहीं कोई मीठी बात करो मोर चकोर पपीहा कोयल सब को मात करो सावन तो मन बगिया से बिन बरसे बीत गया रस में डूबे नग़्मे की अब तुम बरसात करो हिज्र की इक लम्बी मंज़िल को जानेवाला हूँ अपनी यादों के कुछ साये मेरे साथ करो मैं किरनों की कलियाँ… Continue reading यूँ चुप रहना ठीक नहीं कोई मीठी बात करो / क़तील
यों लगे दोस्त तेरा मुझसे ख़फ़ा हो जाना / क़तील
यों लगे दोस्त तेरा मुझसे ख़फ़ा हो जाना जिस तरह फूल से ख़ुश्बू का जुदा हो जाना अहल-ए-दिल से ये तेरा तर्क-ए-त’अल्लुक़ वक़्त से पहले असीरों का रिहा हो जाना यों अगर हो तो जहाँ में कोई काफ़िर न रहे मो’अजुज़ा तेरे वादे का वफ़ा हो जाना ज़िन्दगी मैं भी चलूँगा तेरे पीछे-पीछे तू मेरे… Continue reading यों लगे दोस्त तेरा मुझसे ख़फ़ा हो जाना / क़तील
ये मोजज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे / क़तील
ये मोजज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे कि संग तुझपे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे वो महरबाँ है तोप इक़रार क्यूँ नहीं करता वो बदगुमाँ है तो सौ बार आज़माये मुझे मैं अपने पाँव तले रौंदता हूँ साये को बदन मेरा ही सही दोपहर न भाये मुझे मैं घर से तेरी तमन्ना पहन के जब… Continue reading ये मोजज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे / क़तील
यारो किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो / क़तील
यारो किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो अपने ही गले के लिये तलवार न माँगो गिर जाओगे तुम अपने मसीहा की नज़र से मर कर भी इलाज-ए-दिल-ए-बीमार न माँगो खुल जायेगा इस तरह निगाहों का भरम भी काँटों से कभी फूल की महकार न माँगो सच बात पे मिलता है सदा ज़हर का प्याला… Continue reading यारो किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो / क़तील
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे / क़तील
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में ख़ुदा किसी से किसी को मगर जुदा न करे सुना है उसको मोहब्बत… Continue reading वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे / क़तील
वफ़ा के शीशमहल में सजा लिया मैनें / क़तील
वफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैनें वो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैनें ये सोच कर कि न हो ताक में ख़ुशी कोई ग़मों कि ओट में ख़ुद को छुपा लिया मैनें कभी न ख़त्म किया मैं ने रोशनी का मुहाज़ अगर चिराग़ बुझा, दिल जला लिया मैनें कमाल ये है कि… Continue reading वफ़ा के शीशमहल में सजा लिया मैनें / क़तील