जो शख़्स मुद्दतों मिरे शैदाइयों में था आफ़त के वक़्त वो भी तमाशाइयों में था उस का इलाज कोई मसीहा न कर सका जो ज़ख़्म मेरी रूह की गहराइयों में था वो थे बहुत क़रीब तो थी गर्मी-ए-हयात शोला हुजूम-ए-शौक़ का पुरवाइयों में था कोई भी साज़ उन की तड़प को न पा सका वो… Continue reading जो शख़्स मुद्दतों मिरे शैदाइयों में था / शकीला बानो
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दस्त-ए-क़ातिल में ये शमशीर कहाँ से आई / शकीला बानो
दस्त-ए-क़ातिल में ये शमशीर कहाँ से आई नाज़ करती मिरी तक़दीर कहाँ से आई चाँदनी सीने में उतरी ही चली जाती है चाँद में आप की तस्वीर कहाँ से आई अपनी पल्कों पे सजा लाई है किस के जल्वे ज़िंदगी तुझ में ये तनवीर कहाँ से आई हो न हो उस में चमन वालों की… Continue reading दस्त-ए-क़ातिल में ये शमशीर कहाँ से आई / शकीला बानो