बन्द दरवाज़ों ने बुलाया दस्तकों को अपने पास घबराया समय और दस्तकों को हुआ कारावास इस तरह हर युग में बन्द दरवाज़े रहे उदास
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ज़िन्दा / अग्निशेखर
मोड़ नहीं सकती है मछली पानी का प्रवाह न रोक ही सकती है उसकी मनमानी वह पानी में दिल थामकर बैठे चिकने पत्थरों के आगे-पीछे ढूँढ़ती है अपने जैसों को बेसब्री से वह उतरती है सेवाल के घने वनों में देती हुई आवाज़ काटती है नदी की धार वह जब देखती है ज़रा ठहरकर पानी… Continue reading ज़िन्दा / अग्निशेखर
सुरंग में / अग्निशेखर
बरसों लम्बी संकरी सुरंग में टटोलते हुए एक-एक क़दम हम दे रहे हैं कितना इम्तेहान फ़िलहाल सरक रहे हैं हम सुई की नोक जितनी रोशनी की तरफ़
भय मुक्त / अग्निशेखर
घर के अन्दर भी ख़तरा था घर से बाहर भी था जोख़िम उन्होंने खाया तरस हमारी हालत पर और एक-एक कर फूँक डाले हमारे घर अब न अन्दर ख़तरा है न बाहर जोख़िम
मेरी खाल से बने दस्ताने / अग्निशेखर
दस्तानों में छिपे हैं हत्यारों के हाथ एक दिवंगत आदमी कह रहा है हर किसी के सामने जाकर, ये दस्ताने मेरी खाल से बने हुए हैं ख़ुश हैं हत्यारे कि सभ्य लोग नहीं करते हैं आत्माओं पर विश्वास
डूब रहे हैं / अग्निशेखर
धँसते जा रहे हैं हम पहाड़ों से उतरकर दलदल में किसे आवाज़ दें रात के इस पहर में दूर-दूर तक पानी पर झूल रहा है आधे कोस का चांद सन्नाटे में डूब रहे हैं हम
तमस / अग्निशेखर
तमस हर तरफ़ खिंचा-पसरा था जैसे खड़ा था सामने एक भयानक रीछ और हम सहमे हुए थे खो गया था सबका दिशाबोध घड़ियों में ज़रूर बज रहा था कुछ पता नहीं कहाँ पर थे उस वक़्त खड़े हम ख़त्म हो जाने के खिलाफ़ मूक किसी भी छोर से सूरज उगने तक हमने बचाई किसी तरह… Continue reading तमस / अग्निशेखर
घास / अग्निशेखर
हर तरफ़ आदमी से ऊँची घास थी घनी और आपस में गुँथी हुई वहीं कहीं थी हमारी पगडंडी जिसे हम खोज रहे थे अंधेरा था मालूम नहीं पड़ रहे थे पैर कहाँ उलझ रहे हैं हमें पहुँचना था अपनों के पास फड़फड़ा रहा था दिल सन्नाटे में झूम रही थी घास उन्हीं कुछ लम्हों से… Continue reading घास / अग्निशेखर
माइकिल एंजिलो की तीसरी बहन / अग्निशेखर
वह झटककर तोड़ती है धागा और बची हुई मनुष्यता को मरने नहीं देती ऎसा नहीं कि तोड़ना उसकी आदत है और अपनी बहनों से बनती नहीं उसकी जिन लोगों ने तीनों बहनों के सामने से गुज़रकर उन्हें आपस में बतियाते हुए देखा है जानते हैं वे उनके आपसी प्रेम को परन्तु यह बहन तोड़ती रहती… Continue reading माइकिल एंजिलो की तीसरी बहन / अग्निशेखर
माइकिल एंजिलो की दूसरी बहन / अग्निशेखर
ओ, धागा नापने में व्यस्त माइकिल एंजिलो की दूसरी बहन तुम्हें ही मालूम है यहाँ किसके उधड़े ज़ख़्मों को सिया नहीं जाना है यह पृथ्वी, आकाश, तारे, पंछी, मौसम, लोग और उनकी आकांक्षाएँ जिस धागे से बँधी हुई हैं तुम ही जानती हो वह कितना कमज़ोर हो चुका है बहन, तुम जानती हो कि किसके… Continue reading माइकिल एंजिलो की दूसरी बहन / अग्निशेखर