टिल्ली-लिल्ली / आचार्य अज्ञात

ईची-मीची, आँखें भींची, आया लटकू, बैठा मटकू खट-खट खटका, फूटा मटका खीं-खीं बिल्ली, टिल्ली-लिल्ली।

गप्पू जी फिसले / आचार्य अज्ञात

आलू की पकौड़ी, दही के बड़े, मुन्नी की चुन्नी में तारे जड़े। मँूग की मँगौड़ी, कलमी बड़े, मंगू की छत पर दो बंदर लड़े। खस्ता कचौड़ी, काँजी के बड़े, गप्पू जी फिसले तो औंधे पड़े!

चयन / आग्नेय

चुन नहीं सका अभी तक जीवन और मृत्यु के बीच उसके आगमन से लगता था वह सम्पूर्ण जीवन है वह जीवन का आनन्द है उसका आह्लाद है जीवन और मृत्यु के बीच समय ने बनाना चाहा शाश्वत प्रेम का सेतु जीवन में उसका ठहरना और निरन्तर रहना सम्पूर्ण जीवन का आभास देकर अचानक उसका चले… Continue reading चयन / आग्नेय

प्रतिध्वनि / आग्नेय

देखना एक दिन इस तरह चला जाऊंगा ढूंढोगी तो दिखूंगा नहीं लौटता रहा हूँ बार-बार प्रतिध्वनि बनकर तुम्हारे जीवन में देखना एक दिन इस तरह चला जाऊंगा लौट नहीं पाऊंगा प्रतिध्वनि बनकर तुम्हारे जीवन में।

प्रस्थान / आग्नेय

तुम्हें आख़िरकार देख रहा हूँ तुम्हारी आँखों में गुज़रे वक़्त के आँसू हैं मैं तुम्हें हमेशा के लिए छोड़कर जाने वाला हूँ यकायक देखता हूँ तुम्हारे पीछे खड़ी एक दूसरी स्त्री को जो लगभग तुम्हारी जैसी है मुझ से कह रही है किसी को छोड़कर तुम कैसे पा सकोगे मुझे?

मरण / आग्नेय

कुछ लोग जीते रहते हैं आगे के समय में मर जाने के लिए अब तक मैं कैसे जीता रहा हूँ जब पिछले समय में मर चुका हूँ कई-कई बार जिससे तुम अब मिलती हो वह मैं नहीं मेरा प्रेत है मैं ऎसा प्रेत हूँ जिसे न जाने क्यों तुम प्रेम मानने से अस्वीकार करती हो… Continue reading मरण / आग्नेय

आखेट / आग्नेय

तुम उस परिन्दे की तरह कब तक डैने फड़फड़ाओगे जिसकी गर्दन पर रखा हुआ है चाहत का चाकू उड़ान भरने से पहले ही तुमने खो दिए हैं अपने पंख प्यास बुझने के पहले ही विष पी लिया अमृत पान के लिए तुम्हारे जैसा कौन मरता है लालसाओं के जलसाघरों में तिल-तिल, घुट-घुट कर न तुम्हें… Continue reading आखेट / आग्नेय

सिर्फ़ प्रतीक्षा / आग्नेय

कहीं कोई सूखा पेड़ फिर हरा हो गया। कहीं कोई बादलों पर फिर इन्द्रधनुष लिख गया। कहीं कोई शाम का सूरज फिर डूब गया। हम भुतही पुलियों पर पतलूनों की जेबों में बादल, इन्द्रधनुष, डूबते सूरज भरे किसकी प्रतीक्षा करते हैं। अरे! वह हरा पेड़ तो फिर से सूख गया! अरे! वह लिखा इन्द्रधनुष फिर… Continue reading सिर्फ़ प्रतीक्षा / आग्नेय

मेरा घर / आग्नेय

यह घर जो मेरा घर है मेरे लिए अपमान का घर हो गया है इसकी हर चीज़ जो मेरे लिए लाई गई अचानक मुझसे ही घृणारत है। इस अपमान के घर को अब मुझे छोड़कर जाना ही होगा रेत का महल है मेरा घर, अपमान का घर इसी तरह का होता है ताश का घर… Continue reading मेरा घर / आग्नेय

डसने के पहले / आग्नेय

यद्यपि उसने डसने से पहले कई रंग बदले वह गिरगिट नहीं था बदलते रंगों का यह परिवर्तन सिर्फ़ प्रकृति की माया नहीं थी उसकी आत्मा भी भूरी मटमैली और काली थी रंग बदलने वाली उसकी चमड़ी की तरह दरअसल वह गिरगिट था ही नहीं वह साँप था डसे जाने के पहले उसे ऎसा प्रमाणित करने… Continue reading डसने के पहले / आग्नेय