गड़बड़-घोटाला / यादराम ‘रसेंद्र’

कविता करने बैठा टिल्लू
कागज-कलम संभाल,
बस इतना ही लिख पाया था
हम भारत के लाल।
इतने में आ चढ़ा गोद में
उसका कुत्ता काला,
लुढ़क गई दावात, हो गया
सब गड़बड़-घोटाला!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *