रात तुम लौट गई चुपचाप मुझे अकेला, निस्संग छोड़ कर भर कर प्यार की कई-कई स्मृतियाँ तुममें हिचकोले खाता हुआ मैंने चूमा पत्नी का माथा होंठों पर एक भरपूर चुम्बन अंधेरे में टटोलते हुए किया समूचे शरीर का स्पर्श रात, जब तुम गहरा रही थी मैं प्यार की दैहिक-क्रिया में लीन था असंख्य लहरों पर… Continue reading एक बीती हुई रात को याद करते हुए / वसंत त्रिपाठी
Category: Vasant Tripathi
सेल्फ़ पोर्ट्रेट / वसंत त्रिपाठी
यह जो कटा-फटा-सा कच्चा-कच्चा और मासूम चेहरा है उसे ज़माने की भट्ठी ने ख़ूब-ख़ूब तपाया है केवल आरामशीन नहीं चली लेकिन हड्डियों और दिल को ठंड ने अमरूद की फाँकों-सा चीर दिया है असमय इस चेहरे से रुलाई फूटती है दरअसल ट्रेन की खिड़की-सा हो गया है चेहरा जिसके भीतर से आँखें दृश्यों को छूते… Continue reading सेल्फ़ पोर्ट्रेट / वसंत त्रिपाठी