धरती के अनाम योद्धा / उज्जवला ज्योति तिग्गा

इतना तो तय है कि सब कुछ के बावजूद हम जिएँगे जंगली घास बनकर पनपेंगे / खिलेंगे जंगली फूलों-सा हर कहीं / सब ओर मुर्झाने / सूख जाने / रौंदे जाने कुचले जाने / मसले जाने पर भी बार-बार,मचलती है कहीं खिलते रहने और पनपने की कोई ज़िद्दी-सी धुन मन की अन्धेरी गहरी गुफ़ाओं /… Continue reading धरती के अनाम योद्धा / उज्जवला ज्योति तिग्गा