पहलै पहरै रैंणि दै बणजारिया, तै जनम लीया संसार वै।। सेवा चुका रांम की बणजारिया, तेरी बालक बुधि गँवार वे।। बालक बुधि गँवार न चेत्या, भुला माया जालु वे।। कहा होइ पीछैं पछतायैं, जल पहली न बँधीं पाल वे।। बीस बरस का भया अयांनां, थंभि न सक्या भार वे।। जन रैदास कहै बनिजारा, तैं जनम… Continue reading पहलै पहरै रैंणि / रैदास
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कोई सुमार न देखौं / रैदास
कोई सुमार न देखौं, ए सब ऊपिली चोभा। जाकौं जेता प्रकासै, ताकौं तेती ही सोभा।। टेक।। हम ही पै सीखि सीखि, हम हीं सूँ मांडै। थोरै ही इतराइ चालै, पातिसाही छाडै।।१।। अति हीं आतुर बहै, काचा हीं तोरै। कुंडै जलि एैसै, न हींयां डरै खोरै।।२।। थोरैं थोरैं मुसियत, परायौ धंनां। कहै रैदास सुनौं, संत जनां।।३।।
है सब आतम सोयं / रैदास
है सब आतम सोयं प्रकास साँचो। निरंतरि निराहार कलपित ये पाँचौं।। टेक।। आदि मध्य औसान, येक रस तारतंब नहीं भाई। थावर जंगम कीट पतंगा, पूरि रहे हरिराई।।१।। सरवेसुर श्रबपति सब गति, करता हरता सोई। सिव न असिव न साध अरु सेवक, उभै नहीं होई।।२।। ध्रम अध्रम मोच्छ नहीं बंधन, जुरा मरण भव नासा। दृष्टि अदृष्टि… Continue reading है सब आतम सोयं / रैदास
सेई मन संमझि / रैदास
सेई मन संमझि समरंथ सरनांगता। जाकी आदि अंति मधि कोई न पावै।। कोटि कारिज सरै, देह गुंन सब जरैं, नैंक जौ नाम पतिव्रत आवै।। टेक।। आकार की वोट आकार नहीं उबरै, स्यो बिरंच अरु बिसन तांई। जास का सेवग तास कौं पाई है, ईस कौं छांड़ि आगै न जाही।।१।। गुणंमई मूंरति सोई सब भेख मिलि,… Continue reading सेई मन संमझि / रैदास
कांन्हां हो जगजीवन / रैदास
।। राग रामकली।। कांन्हां हो जगजीवन मोरा। तू न बिसारीं रांम मैं जन तोरा।। टेक।। संकुट सोच पोच दिन राती, करम कठिन मेरी जाति कुभाती।।१।। हरहु बिपति भावै करहु कुभाव, चरन न छाड़ूँ जाइ सु जाव। कहै रैदास कछु देऊ अवलंबन, बेगि मिलौ जनि करहु बिलंबन।।२।।
कहा सूते मुगध नर / रैदास
कहा सूते मुगध नर काल के मंझि मुख। तजि अब सति राम च्यंतत अनेक सुख।। टेक।। असहज धीरज लोप, कृश्न उधरन कोप, मदन भवंग नहीं मंत्र जंत्रा। विषम पावक झाल, ताहि वार न पार, लोभ की श्रपनी ग्यानं हंता।।१।। विषम संसार भौ लहरि ब्याकुल तवै, मोह गुण विषै सन बंध भूता। टेरि गुर गारड़ी मंत्र… Continue reading कहा सूते मुगध नर / रैदास
गौब्यंदे भौ जल / रैदास
गौब्यंदे भौ जल ब्याधि अपारा। तामैं कछू सूझत वार न पारा।। टेक।। अगम ग्रेह दूर दूरंतर, बोलि भरोस न देहू। तेरी भगति परोहन, संत अरोहन, मोहि चढ़ाइ न लेहू।।१।। लोह की नाव पखांनि बोझा, सुकृत भाव बिहूंनां। लोभ तरंग मोह भयौ पाला, मीन भयौ मन लीना।।२।। दीनानाथ सुनहु बीनती, कौंनै हेतु बिलंबे। रैदास दास संत… Continue reading गौब्यंदे भौ जल / रैदास
त्यू तुम्ह कारन केसवे / रैदास
त्यू तुम्ह कारन केसवे, लालचि जीव लागा। निकटि नाथ प्रापति नहीं, मन मंद अभागा।। टेक।। साइर सलिल सरोदिका, जल थल अधिकाई। स्वांति बूँद की आस है, पीव प्यास न जाई।।१।। जो रस नेही चाहिए, चितवत हूँ दूरी। पंगल फल न पहूँचई, कछू साध न पूरी।।२।। कहै रैदास अकथ कथा, उपनषद सुनी जै। जस तूँ तस… Continue reading त्यू तुम्ह कारन केसवे / रैदास
नरहरि प्रगटसि / रैदास
नरहरि प्रगटसि नां हो प्रगटसि नां। दीनानाथ दयाल नरहरि।। टेक।। जन मैं तोही थैं बिगरां न अहो, कछू बूझत हूँ रसयांन। परिवार बिमुख मोहि लाग, कछू समझि परत नहीं जाग।।१।। इक भंमदेस कलिकाल, अहो मैं आइ पर्यौ जंम जाल। कबहूँक तोर भरोस, जो मैं न कहूँ तो मोर दोस।।२।। अस कहियत तेऊ न जांन, अहो… Continue reading नरहरि प्रगटसि / रैदास
अब कुछ मरम बिचारा / रैदास
अब कुछ मरम बिचारा हो हरि। आदि अंति औसांण राम बिन, कोई न करै निरवारा हो हरि।। टेक।। जल मैं पंक पंक अमृत जल, जलहि सुधा कै जैसैं। ऐसैं करमि धरमि जीव बाँध्यौ, छूटै तुम्ह बिन कैसैं हो हरि।।१।। जप तप बिधि निषेद करुणांमैं, पाप पुनि दोऊ माया। अस मो हित मन गति विमुख धन,… Continue reading अब कुछ मरम बिचारा / रैदास