भगति ऐसी सुनहु रे भाई। आई भगति तब गई बड़ाई।। टेक।। कहा भयौ नाचैं अरु गायैं, कहौं भयौ तप कीन्हैं। कहा भयौ जे चरन पखालै, जो परम तत नहीं चीन्हैं।।१।। कहा भयौ जू मूँड मुंड़ायौ, बहु तीरथ ब्रत कीन्हैं। स्वांमी दास भगत अरु सेवग, जो परंम तत नहीं चीन्हैं।।२।। कहै रैदास तेरी भगति दूरि है,… Continue reading भगति ऐसी सुनहु रे भाई / रैदास
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ऐसी भगति न होइ रे भाई / रैदास
ऐसी भगति न होइ रे भाई। रांम नांम बिन जे कुछ करिये, सो सब भरम कहाई।। टेक।। भगति न रस दांन, भगति न कथै ग्यांन, भगत न बन मैं गुफा खुँदाई। भगति न ऐसी हासि, भगति न आसा पासि, भगति न यहु सब कुल कानि गँवाई।।१।। भगति न इंद्री बाधें, भगति न जोग साधें, भगति… Continue reading ऐसी भगति न होइ रे भाई / रैदास
संतौ अनिन भगति / रैदास
संतौ अनिन भगति यहु नांहीं। जब लग सत रज तम पांचूँ गुण ब्यापत हैं या मांही।। टेक।। सोइ आंन अंतर करै हरि सूँ, अपमारग कूँ आंनैं। कांम क्रोध मद लोभ मोह की, पल पल पूजा ठांनैं।।१।। सति सनेह इष्ट अंगि लावै, अस्थलि अस्थलि खेलै। जो कुछ मिलै आंनि अखित ज्यूं, सुत दारा सिरि मेलै।।२।। हरिजन… Continue reading संतौ अनिन भगति / रैदास
तब राम राम कहि गावैगा / रैदास
तब रांम रांम कहि गावैगा। ररंकार रहित सबहिन थैं, अंतरि मेल मिलावैगा।। टेक।। लोहा सम करि कंचन समि करि, भेद अभेद समावैगा। जो सुख कै पारस के परसें, तो सुख का कहि गावैगा।।१।। गुर प्रसादि भई अनभै मति, विष अमृत समि धावैगा। कहै रैदास मेटि आपा पर, तब वा ठौरहि पावैगा।।२।।
राम बिन संसै गाँठि न छूटै / रैदास
राम बिन संसै गाँठि न छूटै। कांम क्रोध मोह मद माया, इन पंचन मिलि लूटै।। टेक।। हम बड़ कवि कुलीन हम पंडित, हम जोगी संन्यासी। ग्यांनी गुनीं सूर हम दाता, यहु मति कदे न नासी।।१।। पढ़ें गुनें कछू संमझि न परई, जौ लौ अनभै भाव न दरसै। लोहा हरन होइ धँू कैसें, जो पारस नहीं… Continue reading राम बिन संसै गाँठि न छूटै / रैदास
नरहरि चंचल मति मोरी / रैदास
नरहरि चंचल मति मोरी। कैसैं भगति करौ रांम तोरी।। टेक।। तू कोहि देखै हूँ तोहि देखैं, प्रीती परस्पर होई। तू मोहि देखै हौं तोहि न देखौं, इहि मति सब बुधि खोई।।१।। सब घट अंतरि रमसि निरंतरि, मैं देखत ही नहीं जांनां। गुन सब तोर मोर सब औगुन, क्रित उपगार न मांनां।।२।। मैं तैं तोरि मोरी… Continue reading नरहरि चंचल मति मोरी / रैदास
अखि लखि लै नहीं / रैदास
अखि लखि लै नहीं का कहि पंडित, कोई न कहै समझाई। अबरन बरन रूप नहीं जाके, सु कहाँ ल्यौ लाइ समाई।। टेक।। चंद सूर नहीं राति दिवस नहीं, धरनि अकास न भाई। करम अकरम नहीं सुभ असुभ नहीं, का कहि देहु बड़ाई।।१।। सीत बाइ उश्न नहीं सरवत, कांम कुटिल नहीं होई। जोग न भोग रोग… Continue reading अखि लखि लै नहीं / रैदास
ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै / रैदास
ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै। साहिब मेरौ मिलै तौ को बिगरावै।। टेक।। सब मैं हरि हैं हरि मैं सब हैं, हरि आपनपौ जिनि जांनां। अपनी आप साखि नहीं दूसर, जांननहार समांनां।।१।। बाजीगर सूँ रहनि रही जै, बाजी का भरम इब जांनं। बाजी झूठ साच बाजीगर, जानां मन पतियानां।।२।। मन थिर होइ तौ कांइ न… Continue reading ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै / रैदास
भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो / रैदास
भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो। सति रांम ताकै निकटि न आवो।। टेक।। राम कहत जगत भुलाना, सो यहु रांम न होई। करंम अकरंम करुणांमै केसौ, करता नांउं सु कोई।।१।। जा रामहि सब जग जानैं, भ्रमि भूले रे भाई। आप आप थैं कोई न जांणै, कहै कौंन सू जाई।।२।। सति तन लोभ परसि जीय… Continue reading भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो / रैदास
आयौ हो आयौ देव तुम्ह सरनां / रैदास
आयौ हो आयौ देव तुम्ह सरनां। जांनि क्रिया कीजै अपनों जनां।। टेक।। त्रिबिधि जोनी बास, जम की अगम त्रास, तुम्हारे भजन बिन, भ्रमत फिर्यौ। ममिता अहं विषै मदि मातौ, इहि सुखि कबहूँ न दूभर तिर्यौं।।१।। तुम्हारे नांइ बेसास, छाड़ी है आंन की आस, संसारी धरम मेरौ मन न धीजै। रैदास दास की सेवा मांनि हो… Continue reading आयौ हो आयौ देव तुम्ह सरनां / रैदास