केसवे बिकट माया तोर। ताथैं बिकल गति मति मोर।। टेक।। सु विष डसन कराल अहि मुख, ग्रसित सुठल सु भेख। निरखि माखी बकै व्याकुल, लोभ काल न देख।।१।। इन्द्रीयादिक दुख दारुन, असंख्यादिक पाप। तोहि भजत रघुनाथ अंतरि, ताहि त्रास न ताप।।२।। प्रतंग्या प्रतिपाल चहुँ जुगि, भगति पुरवन कांम। आस तोर भरोस है, रैदास जै जै… Continue reading केसवे बिकट माया तोर / रैदास
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साध का निंदकु कैसे तरै / रैदास
साध का निंदकु कैसे तरै। सर पर जानहु नरक ही परै।। टेक।। जो ओहु अठिसठि तीरथ न्हावै। जे ओहु दुआदस सिला पूजावै। जे ओहु कूप तटा देवावै। करै निंद सभ बिरथा जावै।।१।। जे ओहु ग्रहन करै कुलखेति। अरपै नारि सीगार समेति। सगली सिंम्रिति स्रवनी सुनै। करै निंद कवनै नही गुनै।।२।। जो ओहु अनिक प्रसाद करावै।… Continue reading साध का निंदकु कैसे तरै / रैदास
जीवत मुकंदे मरत मुकंदे / रैदास
जीवत मुकंदे मरत मुकंदे। ताके सेवक कउ सदा अनंदे।। टेक।। मुकंद-मुकंद जपहु संसार। बिन मुकंद तनु होइ अउहार। सोई मुकंदे मुकति का दाता। सोई मुकंदु हमरा पित माता।।१।। मुकंद-मुकंदे हमारे प्रानं। जपि मुकंद मसतकि नीसानं। सेव मुकंदे करै बैरागी। सोई मुकंद दुरबल धनु लाधी।।२।। एक मुकंदु करै उपकारू। हमरा कहा करै संसारू। मेटी जाति हूए… Continue reading जीवत मुकंदे मरत मुकंदे / रैदास
मरम कैसैं पाइबौ रे / रैदास
मरम कैसैं पाइबौ रे। पंडित कोई न कहै समझाइ, जाथैं मरौ आवागवन बिलाइ।। टेक।। बहु बिधि धरम निरूपिये, करता दीसै सब लोई। जाहि धरम भ्रम छूटिये, ताहि न चीन्हैं कोई।।१।। अक्रम क्रम बिचारिये, सुण संक्या बेद पुरांन। बाकै हृदै भै भ्रम, हरि बिन कौंन हरै अभिमांन।।२।। सतजुग सत त्रेता तप, द्वापरि पूजा आचार। तीन्यूं जुग… Continue reading मरम कैसैं पाइबौ रे / रैदास
मो सउ कोऊ न कहै समझाइ / रैदास
मो सउ कोऊ न कहै समझाइ। जाते आवागवनु बिलाइ।। टेक।। सतजुगि सतु तेता जगी दुआपरि पूजाचार। तीनौ जुग तीनौ दिड़े कलि केवल नाम अधार।।१।। पार कैसे पाइबो रे।। बहु बिधि धरम निरूपीऐ करता दीसै सभ लोइ। कवन करम ते छूटी ऐ जिह साधे सभ सिधि होई।।२।। करम अकरम बीचारी ए संका सुनि बेद पुरान। संसा… Continue reading मो सउ कोऊ न कहै समझाइ / रैदास
सगल भव के नाइका / रैदास
सगल भव के नाइका। इकु छिनु दरसु दिखाइ जी।। टेक।। कूप भरिओ जैसे दादिरा, कछु देसु बिदेसु न बूझ। ऐसे मेरा मन बिखिआ बिमोहिआ, कछु आरा पारु न सूझ।।१।। मलिन भई मति माधव, तेरी गति लखी न जाइ। करहु क्रिपा भ्रमु चूकई, मैं सुमति देहु समझाइ।।२।। जोगीसर पावहि नहीं, तुअ गुण कथन अपार। प्रेम भगति… Continue reading सगल भव के नाइका / रैदास
राम गुसईआ जीअ के जीवना / रैदास
राम गुसईआ जीअ के जीवना। मोहि न बिसारहु मै जनु तेरा।। टेक।। मेरी संगति पोच सोच दिनु राती। मेरा करमु कटिलता जनमु कुभांति।।१।। मेरी हरहु बिपति जन करहु सुभाई। चरण न छाडउ सरीर कल जाई।।२।। कहु रविदास परउ तेरी साभा। बेगि मिलहु जन करि न बिलंबा।।३।।
अब हम खूब बतन / रैदास
अब हम खूब बतन घर पाया। उहॉ खैर सदा मेरे भाया।। टेक।। बेगमपुर सहर का नांउं, फिकर अंदेस नहीं तिहि ठॉव।।१।। नही तहॉ सीस खलात न मार, है फन खता न तरस जवाल।।२।। आंवन जांन रहम महसूर, जहॉ गनियाव बसै माबँूद।।३।। जोई सैल करै सोई भावै, महरम महल मै को अटकावै।।४।। कहै रैदास खलास चमारा,… Continue reading अब हम खूब बतन / रैदास
या रमां एक तूं दांनां / रैदास
या रमां एक तूं दांनां, तेरा आदू बैश्नौं। तू सुलितांन सुलितांनां बंदा सकिसंता रजांनां।। टेक।। मैं बेदियांनत बदनजर दे, गोस गैर गुफतार। बेअदब बदबखत बीरां, बेअकलि बदकार।।१।। मैं गुनहगार गुमराह गाफिल, कंम दिला करतार। तूँ दयाल ददि हद दांवन, मैं हिरसिया हुसियार।।२।। यहु तन हस्त खस्त खराब, खातिर अंदेसा बिसियार। रैदास दास असांन, साहिब देहु… Continue reading या रमां एक तूं दांनां / रैदास
देवा हम न पाप / रैदास
देवा हम न पाप करंता। अहो अंनंता पतित पांवन तेरा बिड़द क्यू होता।। टेक।। तोही मोही मोही तोही अंतर ऐसा। कनक कुटक जल तरंग जैसा।।१।। तुम हीं मैं कोई नर अंतरजांमी। ठाकुर थैं जन जांणिये, जन थैं स्वांमीं।।२।। तुम सबन मैं, सब तुम्ह मांहीं। रैदास दास असझसि, कहै कहाँ ही।।३।।