बातों की रातें / ओंकारेश्वर दयाल ‘नीरद’

आँगन में बैठी दो चिड़ियाँ करती थीं आपस में बातें, आओ हिल-मिलकर हम दोनों आज काट दें काली रातें। तभी अचानक नील गगन में कहीं दूर से चंदा बोला, चमक रहा था, झलक रहा था जैसे हो चाँदी का गोला। मेरा भी मन साथ तुम्हारे बातें करने को है करता, पर नीचे मैं कैसे जाऊँ… Continue reading बातों की रातें / ओंकारेश्वर दयाल ‘नीरद’